द्वापर युग में प्रत्येक आयु की समस्त भारतीय एवं वैश्विक महिलाओं के महिलाजाति के मुखिया चक्रवर्ती चंद्रवंशी भारतीय सर्वोच्च मुख्य न्यायाधीश साहब श्रीकृष्ण चंद्र वासुदेव ने अपनी बुआ सुतसुभा को उनके आग्रह पर वचन दिया कि मैं आपके पुत्र व अपने फुफेरे भाई शिशुपाल के सौ अपराध मांफ करूंगा यदि शिशुपाल ने मेरे विरूद्ध एक सौ एकवां अपराध किया तो मैं अपने सुदर्शन धर्मचक्र के द्वारा उसका सिर उसके धड़ से अलग कर दूंगा। मेरे भारतीय न्याय में महिला अपमान की एक ही सजा सिर तन से जुदा – सिर तन से जुदा। श्रीकृष्ण चंद्र वासुदेव ने ऐसा ही किया।
घृतराष्ट्र की महासभा में समस्त पुरूष वर्ण के फर्जी मुखिया व भारत के फर्जी राष्ट्रीय सर्वोच्च मुख्य न्यायाधीश महिला विरोधी दुर्योधन के द्वारा अन्यायपीड़ित द्रोपदी के आवाहन पर तत्काल हाजिर हुए श्रीकृष्ण चंद्र वासुदेव को देख द्रोपदी विलख पड़ी। तब श्रीकृष्ण चंद्र वासुदेव ने द्रोपदी से कहा की धैर्य रखो। यह सिर्फ तुम्हारा ही अपमान नहीं यह समस्त महिलाओं का व महिलाजाति के मुखिया मुझ भारतीय सर्वोच्च मुख्य न्यायाधीश श्रीकृष्ण चंद्र वासुदेव का अपमान है मैं जानता हुं कि दुर्योधन मेरा भी वध करना चाहता है। हे द्रोपदी ! , मैं तुम्हें वचन देता हूं कि अब होगा महाभारत युद्ध। इस युद्ध में महिला विरोधी समस्त पुरूषों का वध होगा मेरे भारतीय न्याय में महिला अपमान की एक ही सजा सिर तन से जुदा – सिर तन से जुदा। महाभारत युद्ध में ऐसा ही हुआ भीम के द्वारा दुर्योधन का वध हुआ।
भारत के शासक प्रधानमंत्रीजी ने स्वयं ही स्वेच्छा से अपने भारतीय संविधान में दर्ज लैंगिग समानता के अधिकार के अनुपालन के तहत अपने भारत के प्रत्येक आयु के समस्त राष्ट्रीय पुरूषों के व उनके राष्ट्रीय जनजीवन के हित में उन्हें न्याय प्रदान करने वाला उनके पुरूषवर्ण का मुखिया भारत का राष्ट्रीय सर्वोच्च मुख्य न्यायाधीश दिया है परन्तु भारत के शासक प्रधानमंत्री जी से अपने कर्तव्यपालन व मांग के द्वारा भारत के किसी भी राष्ट्रीय सर्वोच्च मुख्य न्यायाधीशजी ने स्वयं व स्वेच्छा से प्रत्येक आयु की समस्त भारतीय महिलाओं के व उनकी भारतीय जनजीविका के न्यायहित में उन्हें अपना न्याय जारी करने वाले उनकी महिलाजाति का मुखिया भारतीय सर्वोच्च मुख्य न्यायाधीश को अबतक हासिल नहीं किया है।
इसीलिए महिला व पुरूष समस्त भारतीय नागरिकों के पहिचान के सभी प्रकार के अभिलेखों में दर्ज उनके नाम के साथ उनकी माता का नाम दर्ज नहीं बल्कि सिर्फ उनके पिता का नाम दर्ज है। इससे बड़ा महिलाओं का अपमान और क्या हो सकता है। खेद है कि भारतीय महिलाओं एवं वैश्विक महिलाओं ने इस लैंगिक असमानता की ओर ध्यान नहीं दिया है। जो महिलाओं के विरूद्ध अन्याय व अपराध का मूलकारण है। वर्तमान ईरान की महिलाओं ने अपने अपमान के विरूद्ध आवाज बुलंद कर रखी हैं। जिसपर इटली की भावी प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी ईरान में हिजाब के खिलाफ प्रदर्शन कर रहीं महिलाओं के समर्थन में उतर गई हैं। उन्होंने ट्वीट किया, “अपने अधिकारों और स्वाधीनता की रक्षा के लिए ईरान और दुनिया भर में लड़ रही बहादुर महिलाओं के प्रति मेरी पूरी सहानुभूति है। सम्पूर्ण विश्व को महिला/नारी सशक्तिकरण के समर्थकों को इस ओर ध्यान देना चाहिए। कोमल है कमजोर नहीं, तू शक्ति का नाम ही नारी है, जग को जीवन देने वाली, मौत भी तुझसे हारी है’। क्योंकि माँ के कदमों में जन्नत है।
वंदेमातरम् , जय हिन्द
Sach ki Dastak
Tags: featured