शरदपूर्णिमा : बांकेबिहारी मंदिर में अमृत वर्षा, उमड़ी भीड़

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शरद पूर्णिमा पर रविवार को वृंदावन के मंदिरों में भक्ति का ऐसा अमृत बरसा, जिसमें हर कोई सराबोर हो गया। वृंदावन के विश्व प्रसिद्ध बांकेबिहारी मंदिर में अपने आराध्य के दर्शन को भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी। मोर मुकुट, कांछनी व बांसुरी धारण किए ठाकुर बांकेबिहारी के दर्शन पाकर भक्त अभिभूत हो गए। मंदिर परिसर में राधे-राधे और बांकेबिहारी के जयकारे से गूंजते रहे।

रविवार को सुबह 7:55 बजे शृंगार आरती के बाद स्वर्ण रजत सिंहासन पर गोपियों के मध्य ठाकुर बांकेबिहारी ने मोरमुकुट, कांछनी व अधर पर बांसुरी धारण कर दर्शन दिए। मंदिर में मोर मुकुट, कटि कांछनी कर मुरली उर माल…पद गूंज उठा।

दोपहर को 12:55 बजे राजभोग आरती के बाद, शाम को भी ठाकुरजी के नयनाभिराम दर्शन हुए। ठाकुर जी को खीर, रबड़ी व श्वेत चंद्रकला का भोग अर्पित किया गया।

नगर के राधाबल्लभ मंदिर, सनेह बिहारी मंदिर, शाहजी मंदिर, प्रेममंदिर आदि में भी भगवान ने धवल चांदनी में दर्शन दिए। बांकेबिहारी जाने वाले सभी मार्गों पर सुबह से ही श्रद्धालु खड़े नजर आए।

दाऊजी तिराहे से बांकेबिहारी मंदिर जाने वाले मार्ग पर पुलिस ने बैरीकेडिंग लगाई थी, लेकिन भीड़ के चलते श्रद्धालु बैरीकेडिंग भी पार करते नजर आए।

शरद पूर्णिमा पर आधी रात बाद आरती उतारकर प्रसाद का भोग लगाकर श्रद्धालुओं में वितरित किया गया। नगर के मुख्य दाऊजी मंदिर में सजावट की गई। महिलाओं ने तीन घंटे से अधिक समय तक ठाकुर की गुणगान किया। मंदिर के महंत कैलाश पुजारी रहे। शेरगढ़ मार्ग पर हनुमानजी की प्रतिमा का शृंगार कर पुजारी नारायण दास ने आरती उतारी।

नंदीश्वर पहाड़ी स्थित नंदबाबा मंदिर में सेवायतों द्वारा श्री विग्रहों को श्वेत वस्त्र धारण कराए गए। शाम को कृष्ण-बलराम को बंगली में विराजमान किया गया। धवल चांदनी में श्रीकृष्ण बलराम को खीर का भोग लगाया गया। जगह-जगह खीर का भोग लगाया गया। 

Sach ki Dastak

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