कहीं किसी साजिश के शिकार तो नहीं हुए आरक्षी विमल चंद तिवारी
चंदौली
चंदौली जिला के नवागत पुलिस कप्तान आदित्य लाग्घें कारभार ग्रहण करने के साथ ही चंद दिनों में ही अपने कार्यों के लिए जाना जाने लगे हैं। जिले भर के थाना को साफ सुथरी छवि बनाए रखने के लिए वह दिन-रात तक अथक परिश्रम कर रहे हैं। पिछले दिनों कार्यभार ग्रहण करने के साथ ही अपनी प्राथमिकताएं जिस तरह से उन्होंने बताई उसी पैटर्न पर वह कार्य करके इन दिनों चर्चा में हैं। दिन हो या रात किसी भी वक्त जिले की किसी भी थाना में अचानक जाकर जांच पड़ताल करना उनकी कार्यशैली देखी जा रही है। नवागत कप्तान के अचानक किसी भी थाना में दौरा से पुलिस महकमा में खलबली मची हुई है।
लोगो के कहने के मुताबिक कोतवाली तथा थाना के मुख्य कमाई का काम कारखास का होता है थाना का ड्राइवर अवैध वसूली के कार्य में लगे रहते है। पुलिस विभाग में इस पद पर कार्य करने वाले कर्मचारियों पर सबसे पहले पुलिस अधीक्षक ने लगाम कसना शुरू कर दिया है, ताकि पुलिस की स्वच्छ छवि को बनाये रखा जा सके। कप्तान द्वारा जिले के विभिन्न थाना के कुल 32 कारखास एवं ड्राइवर को चिन्हित कर विशेष प्रशिक्षण दिए जाने हेतु कोतवाली तथा थाना पर तैनात पुलिस कर्मियों को पुलिस लाइन में भेजे जाने हेतु पत्र जारी किया गया है।
विशेष प्रशिक्षण हेतु पुलिस लाइन में बुलाए जाने के लिए इलिया थाना के आरक्षी विमलचंद तिवारी का नाम भी शामिल है, जबकि विमल चंद तिवारी पुलिस महकमा में ईमानदार छवि के लिए जाने जाते हैं। स्वच्छ छबि के चलते ही पुलिस महकमा में उल्टा सीधा कमाई करने वालों से उनकी बनती नहीं थी श्री तिवारी इलिया थाना पर ना तो कारखास है नहीं चालाक है, बावजूद उन्हें विशेष प्रशिक्षण के लिए पुलिस लाइन में बुलाया जाना किसी के गले नहीं उतर रहा है। क्षेत्रीय संभ्रांत लोगों का मानना है कि विमल चंद तिवारी किसी साजिश के शिकार तो नहीं हुए हैं।
भारतीय सेना की नौकरी कर चुके बिमल चंद तिवारी अप्रैल 2015 में सेना से रिटायर्ड होने के बाद जून 2019 में उत्तर प्रदेश पुलिस में भर्ती हुए थे। प्रशिक्षण के बाद वर्ष 2020 से लगातार चंदौली जिले में आरक्षी पद पर रहते हुए वह इलिया थाना में अपने ड्यूटी का बखूबी निर्वहन कर रहे हैं। बावजूूद एक ईमानदार छवि के पुलिसकर्मी को लाइन हाजिर कर उसकी छवि को धूमिल करने का जो प्रयास किया गया है उसे साबित हो गया है कि पुलिस विभाग में दागदार पुलिस कर्मियों का ही बोलबाला है।