कोरोना काल में पत्रिका का प्रकाशन एक अति प्रशंसनीय प्रयास

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कोरोना काल में पत्रिका का प्रकाशन एक अति प्रशंसनीय प्रयास

सच की दस्तक टीम
कोरोना काल में कला साहित्य संस्कृति वह सामाजिक सरोकार की मासिक पत्रिका सच की दस्तक का प्रकाशित संयुक्तांक एक अति प्रशंसनीय प्रयास है। इस प्रकाशन के लिए पत्रिका के संरक्षक सम्पादक सहित समस्त सहयोगी बधाई के पात्र हैं। मैं इनकी उत्तर उत्कर्ष की कामना करता हूं। उक्त बातें नगर के वरिष्ठ रंगकर्मी व कलम चलती रहे पुस्तक के लेखक कृष्णकांत श्रीवास्तव ने ऑनलाइन एकल लोकार्पण करते हुए अभिव्यक्त किया। उन्होंने बताया कि कोविड-19 विश्वव्यापी बीमारी में सामाजिक एवं भौतिक दूरी से उत्पन्न एक कान सृजनशीलता के लिए सर्वोत्तम समय है। मुझे विश्वास है कि पत्रिका में प्रस्तुत विविध लेखन सामग्री बुद्धिजीवियों के लिए मानस सुधा सिद्ध होगी। मैं पिछले 3वर्षों से इस पत्रिका पाठक रहा हूं और कुछ अंकों में साहित्यिक एवं आध्यात्मिक स्तम्भां के लिए लिखने का भी शुभ अवसर प्राप्त हुआ है।

इस अवसर पर पत्रिका के समाचार सम्पादक आकांक्षा सक्सेना
ने ऑनलाइन विचार रखते हुए कहा कि हमारा मकसद राष्ट्र को सर्वोपरी रखना है और सच को उजागर करना है।3 साल का यह सफर इसी उद्देश्य में बिता है।कितना सफल हुई ये फैसला करना तो पाठकों का काम है।खेल सम्पादक मनोज उपाध्याय ने भी अपने विचार ऑनलाइन रखा।और पाठकों को धन्यवाद दिया।
पत्रिका के प्रधान संपादक ब्रजेश कुमार ने अपने विचार रखते हुए कहा कि विद्या की आराध्य देवी मा सरस्वती के आशीर्वाद से सफर के तीन साल पत्रिका ने पूरा किया है लेकिन इसमें हमारे पाठकों का व लेखकों का पूरा सहयोग मिला है।उम्मीद और पूर्ण विश्वास है कि आप का सहयोग बना रहेगा।

Sach ki Dastak

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