कोविड केयर सेंटर से बिना जांच के घर वापसी पर जिला प्रशासन ने दिया जबाब
सच की दस्तक नेशनल न्यूज़ डेस्क
जनपद चन्दौली में कोरोना का संक्रमण बढ़ते ही जा रहा है। सरकार द्वारा जारी किए गए आंकड़े के अनुसार जनपद में कोविड के कुल 669केस जिनमें एक्टीव केस की संख्या 262है व 401 व्यक्ति डिस्चार्ज किये जा चुके है तथा कुल मृतकों की संख्या 6है।
जैसे-जैसे कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है। वैसे-वैसे सरकार के रख रखाव पर भी कई सवाल उठ रहे हैं। कोरोना संक्रमित व्यक्ति का नियमित समय से पहले कोविड केयर सेंटर से बिना टेस्ट के घर वापस भेजने का कई सवाल उठते दिखाई पड़ रहे हैं।
इसके अलावा कोविड केयर सेंटर में साफ-सफाई पर कई सवाल उठ रहे हैं। कुछ दिन पहले इन सेंटरों की साफ सफाई व्यवस्था पर वीडियो भी वायरल हुआ था। जिस पर जिलाधिकारी ने अधिकृत बयान जारी करते हुए कहा था कि क्वॉरेंटाइन सेंटरों सहित जिनमें कोरोना पॉजिटिव संक्रमित व्यक्ति रखे जाते हैं उनकी साफ-सफाई व्यवस्था का विशेष ख्याल दिया जाता है। जो कुछ कमियां है उसे दूर कर लिया जाएगा। दूसरी तरफ कोरोना संक्रमित व्यक्ति सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक क्वॉरेंटाइन सेंटरों कोरोना केयर सेंटरों पर 14से 21दिन रखे जाते हैं। उसके बाद जांच कराई जाती है। लेकिन इन नियमों का लोगों की माने तो पालन नहीं कराया जा रहा है। जो कोरोना संक्रमित व्यक्ति इन सेंटरों में जा रहे हैं उन्हें एक सप्ताह के अंदर घर वापस भेज दिया जा रहा है। यहां तक की उनकी सैंपल भी नहीं की जा रही है।
कोरोना संक्रमित रहे मैनाताली के सभासद राजेश जायसवाल ने बताया कि जब वे कोरोना संक्रमित हुए तो साथ में उनके आस पास के 35लोग भी कोरोना कि संक्रमण में आ गए क्योंकि हम लोग के पास कोरोना संक्रमित लक्षण नहीं दिख रहे थे इसलिए हमें एल1 कैटेगरी वाले सेंटरों पर रखा गया। उस दौरान पल्स रेट, थर्मल स्कैनिंग, ब्लड प्रेशर, शुगर की जांच होती थी। इसके अलावा खाना भी समय पर दिया जाता था लेकिन 7दिन बाद नई गाइडलाइन के अनुसार हमें घर भेज दिया गया।
ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि जहां सरकारी गाइड लाइन मिनिमम 14 दिन व मैक्सिमम 21दिन रखने की है तो इन्हें पहले क्यों छोड़ा गया?
इस सवाल के जवाब में कोविड-19 के लिए नोडल अधिकारी बनाए गए डॉ. डीके सिंह ने बताया कि कोरोना संक्रमित व्यक्तियों की पहले कैटेगरी बांटी जाती है। जो कोरोना संक्रमित व्यक्ति होते हैं और रिजल्ट में वे पॉजिटिव देख रहे होते हैं परंतु उनमें कोरोना के लक्षण नहीं होते। उन्हें एल1 कैटेगरी सेंटरों पर रखा जाता है। उसके बाद सरकार की गाइड लाइन के अनुसार उन्हें इलाज किया जाता है। यदि 7दिन तक उनमें कोरोना संक्रमण के कोई भी लक्षण नहीं दिखाई पड़ते तो उन्हें वापस भेज दिया जाता है। भेजने के पहले निश्चित तौर पर जांच के लिए सैंपलिंग नहीं कराई जाती है। लेकिन जो कोरोना व्यक्ति में कोरोना के लक्षण दिखाई पड़ते हैं उन्हें निश्चित तौर पर 10दिनों तक व 14दिनों तक रखा जाता है। उनके इलाज के बाद अंतिम सप्ताह में सैंपल उनके भेजे जाते हैं जब सैंपल रिपोर्ट नेगेटिव आती है तभी छोड़ा जाता है । जिसकी सांस की बीमारी होती है और वे काफी खतरे में होते हैं जिन्हें वेंटिलेटर तक की जरूरत पड़ सकती है उन्हें 21दिन तक रखा जाता है। होम आइसोलेशन के प्रश्न के जवाब में नोडल अधिकारी डॉ डीके सिंह ने बताया कि यहां होम आइसोलेशन में उसे रखा जाता है जिनके पास पर्याप्त व्यवस्थाएं होती हैं। उनके पास एक कमरा होता है जो सेपरेट होते हैं। साथ ही उनके शौच के लिए अलग व्यवस्था की गई होती हैं तो मुख्य चिकित्सा अधिकारी के आदेश पर उसे होम आईंलेशन इलाज किया जाता है। इसमें यह भी शर्त होती है कि जो व्यक्ति इनकी जिम्मेदारी सेवा की लेता है बाकायदा फॉर्म पर फिल अप करवाए जाते हैं। ऐसे में यह कह देना कि होम आइसोलेशन सेंटर पर व्यवस्थाएं नहीं है गलत है। इसके अलावा इन सेंटरों से निर्धारित समय से पहले कोरोना संक्रमित को छोड़ना भी गलत नहीं है क्योंकि बाकायदा उनकी 7दिन तो जांच होती हैं और यदि उनमें उस दौरान कोई कोरोना संक्रमण के लक्ष्ण नहीं पाए जाते तो ही उन्हें घर भेजे जाते हैं।