भारतीयों के प्रति ठीक रहा तालिबानियों का व्यवहार

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देवरिया: 20 अगस्त की रात 11 बजे थे। हम सभी 28 भारतीय चार वाहनों में सवार होकर काबुल एयरपोर्ट के लिए निकले थे। हम डरे सहमे थे। रास्ते में असलहाधारी चार तालिबानियों ने वाहनों को रोक लिया। पूछा कौन हो, कहां जा रहे हो।

हमने आहिस्ता से बताया कि हम भारतीय हैं। काबुल एयरपोर्ट पर जा रहे हैं। वहां से अपने देश लौट जाएंगे। यह सुनकर तालिबानियों ने कहा कि हमारे देश से क्यों जा रहे हो। हमारे देश में काम करो। यह सुनकर सभी खामोश हो गए। मैंने कहा, जब माहौल अच्छा होगा तो हम फिर आएंगे। तालिबानियों ने हमें काबुल एयरपोर्ट तक छोड़ा। यह कहना है कि अफगानिस्तान से वतन वापस लौटे भलुअनी के रहने वाले नीतीश गुप्ता का।

नीतीश के मुताबिक, हमने 20 अगस्त को भारतीय दूतावास से संपर्क किया। भारतीय दूतावास के अधिकारी अमित कुमार रेस्क्यू के लिए हम लोगों से लगातार संवाद बनाए हुए थे। अफगानिस्तान के खान स्टील मिल न्यू बगराम रोड से काबुल एयरपोर्ट की दूरी महज आठ किमी है। लेकिन जाम की वजह से हमें यह दूरी तय करने में पांच घंटे लग गए। हम 21 अगस्त की भोर में चार बजे पहुंचे। जिसके चलते भोर में 4.30 बजे वाली फ्लाइट छूट गई। अब हमारे पास 24 घंटे इंतजार के अलावा कोई चारा नहीं था। 22 अगस्त की भोर में 4.30 बजे भारतीय वायुसेना के सी-17 ग्लोबमास्टर विमान से सुबह 9.30 बजे दिल्ली पहुंचे। नीतीश के मुताबिक, अपनी सरजमीं पर कदम रखते हुए हम सभी के खुशी का ठिकाना नहीं रहा। हमने माटी को सलाम किया कि हम भारत सरकार की मदद से सही सलामत अपने वतन लौट आए। नीतीश के अलावा गोरखपुर समेत पूर्वी उप्र व बिहार के 28 भारतीय फंसे थे। सभी सकुशल भारत आ गए। शाम को वह दिल्ली के आनंद विहार बस स्टेशन से घर के लिए रवाना हुए।

नीतीश ने बताया कि काबुल एयरबेस पर 24 घंटे रुकने के दौरान तालिबानियों ने हमें पानी, चाय, नाश्ता व भोजन उपलब्ध कराने में मदद की। उनका रवैया भारतीयों के प्रति ठीक था। वह पाकिस्तान को अपना दुश्मन बता रहे थे।

Sach ki Dastak

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