देश में महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा के चुनाव हो रहे हैं।मौजूदा समय में झारखंड में हेमंत सोरेन के नेतृत्व में यूपीए की सरकार चल रही है वहीं महाराष्ट्र में एक नाथ शिंदे के नेतृत्व में एन डी ए की सरकार चल रही है।इन दोनों राज्यों में राजनीतिक तांडव चल रहा हैं। महाराष्ट्र में उद्धव की शिवसेना अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही हैं।इस चुनाव से यह स्पष्ट हो जाएगा बाला साहब ठाकरे वाला शिवसेना जनता किसे मानती है। वहीं शरद पवार की साख दांव पर लगी हुई है यदि महाअघारी की सरकार बनती है तो उद्धव और शरद पवार की साख बच जाएगी।
लेकिन यदि एन डी ए की सरकार बनती है तो शरद पवार की साख धूमिल होना प्रारंभ कर हो जाएगी। महाराष्ट्र में मुख्य मुद्दे है विकास,रोजगार,किसानों के आत्महत्या , जातिगत मतगणना है।वही एन डी ए डबल इंजन की सरकार बनाने का के फायदे बीजेपी आमजन को बता रही हैं ।
महाराष्ट्र विधानसभा में कुल 288 सीटें हैं. जीत का आंकड़ा छूने के लिए किसी भी दल को 145 सीटों की ज़रूरत पड़ती है।2019 में हुए विधानसभा चुनाव के आंकड़ों पर नज़र रखें तो बीजेपी को 105, शिवसेना को 56, एनसीपी को 54 और कांग्रेस को 44 सीटें मिलीं थीं।
जिसके बाद शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस ने साथ मिलकर सरकार बना ली थी, हालांकि यह गठबंधन की सरकार ज़्यादा दिन तक नहीं चल सकी। साल 2022 के जून में शिवसेना के आपसी विवाद के कारण एकनाथ शिंदे, शिवसेना के एक गुट के साथ अलग हो गए।
वहीं अजित पवार भी एनसीपी के एक गुट को अपने साथ ले आए और दोनों ने बीजेपी के साथ मिलकर नई सरकार बना ली। इस चुनाव रोजगार मुख्य समस्या है। विदर्भ में किसानों की आत्महत्या मुख्य मुद्दा है।कांग्रेस के राहुल गांधी जातिगत मतगणना करवाना चाहते हैं।लेकिन इसका लाभ उद्धव को मिलता है कि नहीं ये तो समय ही बतलाएगा ।