संतुलित भोजन और योग ही डायबिटीज से छुटकारा दिला सकता है

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विश्व मधुमेह दिवस

संतुलित भोजन और योग ही डायबिटीज से छुटकारा दिला सकता है

मनुष्य के शरीर में सभी पोषक तत्व की मात्रा निर्धारित रहती है।इसमें से यदि इनकी मात्रा में कमी होती या वृद्धि होती है तो मनुष्य रोग के गिरफ्त में आ जाता है।उन्हीं में से एक है मनुष्य में शर्करा की मात्रा। शरीर द्वारा तय माप दंड से अधिक होने पर व्यक्ति डायबिटीज रोग से पीड़ित हो जाता है।यदि एक बार यह रोग हो जाता है तो यह रोग अंत तक ठीक नहीं होता लेकिन यदि नियमित व्यायाम ,योग करें तो निश्चित तौर पर इसे कंट्रोल कर जिंदगी का मजा लिया जा सकता है।इस रोग से लोगों को जागरूक रखने के लिए 14 नवंबर को विश्व मधुमेह दिवस मनाया जाता है।

डायबिटीज एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर में इंसुलिन का उत्पादन कम हो जाता है या शरीर में इसका सही ढंग से उपयोग नहीं हो पाता। इंसुलिन एक हार्मोन है जिसका स्राव अग्नाशय के बीता सेल द्वारा होता है। इंसुलिन एक ऐसा हार्मोन है जो खून में शुगर (ग्लूकोज) की मात्रा को नियंत्रित करने में मदद करता है। जब इंसुलिन का उत्पादन या उपयोग बाधित होता है, तो शरीर में शुगर का स्तर बढ़ जाता है, जिससे कई स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो सकती हैं।

 

डायबिटीज क्यों होता है?

डायबिटीज का मुख्य कारण शरीर में इंसुलिन के उत्पादन में गड़बड़ी या इंसुलिन प्रतिरोध है। यह रोग कई कारणों से हो सकता है, जैसे:

1. जीवनशैली और खान-पान: अस्वस्थ आहार, तली-भुनी और चीनी से भरपूर चीज़ों का अधिक सेवन, और शारीरिक गतिविधि की कमी से डायबिटीज का खतरा बढ़ता है।

2. आनुवंशिकता: परिवार में डायबिटीज का इतिहास होने पर इसका खतरा अधिक रहता है।

3. मोटापा: मोटापे से इंसुलिन प्रतिरोध बढ़ता है, जिससे शरीर में शुगर का स्तर बढ़ जाता है।

4. बढ़ती उम्र: उम्र के साथ शरीर में मेटाबॉलिज्म धीमा होता है और इंसुलिन के प्रति संवेदनशीलता कम हो जाती है।

5. अन्य स्वास्थ्य स्थितियां: उच्च रक्तचाप, हृदय रोग और कुछ अन्य रोगों के कारण डायबिटीज का खतरा बढ़ सकता है।

डायबिटीज के प्रकार

1. टाइप 1 डायबिटीज: इसमें शरीर में इंसुलिन का उत्पादन पूरी तरह से बंद हो जाता है। यह अधिकतर बच्चों और युवाओं में देखने को मिलता है।

2. टाइप 2 डायबिटीज: इसमें शरीर इंसुलिन का सही तरह से उपयोग नहीं कर पाता। यह अधिकतर वयस्कों में होता है और जीवनशैली से संबंधित होता है।

3. गेस्टेशनल डायबिटीज: यह गर्भावस्था के दौरान होता है और अधिकतर गर्भावस्था के बाद समाप्त हो जाता है। लेकिन इससे भविष्य में टाइप 2 डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है।

विश्व में डायबिटीज की स्थिति

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (डब्लू एच ओ) के अनुसार, 2021 में दुनिया भर में करीब 53 करोड़ लोग डायबिटीज से पीड़ित थे। इन आंकड़ों में वृद्धि होने की आशंका है, क्योंकि शहरीकरण, खान-पान में बदलाव और शारीरिक गतिविधि की कमी के कारण यह समस्या और गंभीर हो रही है।

भारत में डायबिटीज की स्थिति

भारत को “डायबिटीज की राजधानी” भी कहा जाता है। इंडियन डायबिटीज फेडरेशन के अनुसार, भारत में करीब 7.7 करोड़ लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं, और 2045 तक यह संख्या 13.4 करोड़ तक पहुँच सकती है। बढ़ते शहरीकरण, अस्वस्थ जीवनशैली और आनुवंशिक कारणों से यह समस्या भारत में तेजी से बढ़ रही है।

डायबिटीज से बचाव कैसे संभव है?

डायबिटीज को पूरी तरह से रोका तो नहीं जा सकता, लेकिन इसकी संभावना को कम किया जा सकता है। यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं।

उत्तर प्रदेश के जनपद चन्दौली के प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ.राजीव के अनुसार व्यक्ति को शुरू से ही प्रयास करना चाहिए कि मनुष्य प्रातः योग को अपनी आदत में डाल लें।इसके अलावा कम से कम डेढ़ किमी डेली पैदल वाक करें। भोजन को संतुलित मात्रा में लें।ध्यान देने योग्य बातें ये है कि भोजन को इकठ्ठा न लें बल्कि कई बार ले सकते हैं।पेट कभी खाली नहीं होना चाहिए लेकिन ओवरडोज भी नहीं होना चाहिए।तंबाकू का सेवन बिल्कुल न करें।डायबिटीज से आंखो की रोशनी पर भी असर पड़ता है।इसके अलावा किडनी भी इससे प्रभावित होती है।हार्ट पर भी काफी प्रभाव पड़ता है। इसकी अलावा बचाव के लिए निम्न बातें ध्यान देने योग्य हैं।

1. स्वस्थ आहार: संतुलित और पौष्टिक भोजन का सेवन करें, जिसमें ताजे फल, सब्जियाँ, अनाज और प्रोटीन शामिल हों। अधिक चीनी और तली हुई चीजों से परहेज करें।

2. नियमित व्यायाम: शारीरिक गतिविधि का अभ्यास करें, जैसे तेज चलना, योग, एरोबिक्स, या अन्य व्यायाम।

3. वजन नियंत्रण: वजन का नियंत्रण रखें, खासकर पेट के आसपास के वजन पर ध्यान दें, क्योंकि पेट की चर्बी से डायबिटीज का खतरा बढ़ सकता है।

4. तनाव प्रबंधन: तनाव को नियंत्रित रखें, क्योंकि तनाव का शरीर पर बुरा असर पड़ता है और यह इंसुलिन प्रतिरोध को बढ़ा सकता है।

5. नियमित स्वास्थ्य परीक्षण: अगर परिवार में डायबिटीज का इतिहास है, तो समय-समय पर ब्लड शुगर की जाँच कराते रहें।

डायबिटीज एक गंभीर लेकिन नियंत्रित करने योग्य स्थिति है। स्वस्थ जीवनशैली, नियमित व्यायाम और आहार नियंत्रण से इस रोग के खतरे को कम किया जा सकता है। इसके साथ ही, जागरूकता बढ़ाकर और सही समय पर निदान कर डायबिटीज के दुष्प्रभावों से बचा जा सकता है।

भारत में डायबिटीज के बढ़ते मामलों को देखते हुए, इसकी रोकथाम के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है।

Sach ki Dastak

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