एक फेक टीचर 25 जगह नौकरी : नाम अनामिका शुक्ला नहीं प्रिया जाटव निकला

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पुलिस की पूछताछ में पता चला है कि मीडिया को अपना नाम अनामिका शुक्ला बताने वाली कोई और नहीं बल्कि प्रिया जाटव है. अभी तक खुलासा नहीं हुआ है कि आखिर अनामिका शुक्ला है कौन जिसके नाम से उत्तर प्रदेश के 25 से अधिक जिलों में शिक्षिकाएं नौकरी कर रही हैं.

उत्तर प्रदेश में चर्चित फर्जी अनामिका शुक्ला नाम से नौकरी करती पकड़ी गई शिक्षिका न अनामिका शुक्ला, न अनामिका सिंह और ना ही प्रिया सिंह। फर्जी महिला शिक्षिका का असली नाम सुप्रिया सिंह है। पूछताछ में उसने ना केवल अपने नाम बदलकर बताए, बल्कि पता भी गलत बताया। पुलिस उसकी जानकारियों को जांच में शामिल कर रही है। पुलिस अब उसके असली नाम के पहचान पत्र को हासिल करने में जुटी है। वहीं पकड़ी गई शिक्षिका से पूछताछ करने रविवार को एसटीएफ आगरा की टीम पहुंची। दोपहर को करीब दो घंटे तक पूछताछ कर तमाम जानकारियां हासिल की। दोपहर बाद आरोपी शिक्षिका को पुलिस ने अदालत में पेश किया। जहां से कोर्ट ने उसे 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया।  

जैसे ही सुबह अखबारों में अनामिका शुक्ला नाम से नौकरी करने वाली महिला शिक्षिका की फोटो छपी और चैनलों पर उसका चेहरा दिखाई दिया। वैसे ही कायमगंज के रजपालपुर में रहने वाले उसके परिजनों को इसकी जानकारी हुई। इसके बाद परिवार के लोगों में हड़कंप मच गया।

महिला शिक्षिका से परिजनों के मोबाइल नंबर पुलिस को मिले तो पुलिस ने उसके नाम पते को लेकर जांच करनी शुरू कर दी। कोतवाली प्रभारी सोरों रिपुदमन सिंह ने बताया कि, पकड़ी गई महिला शिक्षिका का नाम सुप्रिया सिंह पता चला है, वह कायमगंज के समीप गांव रजपालपुर के निवासी महीपाल सिंह की पुत्री है। पुलिस की टीम गांव में जांच करने पहुंची थी।

असली अनामिका बेरोजगार.. 

यूपी के गोंडा जिले की रहने वालीं अनामिका शुक्ला ने किसी को भी जिले में नौकरी नहीं की है, और वह आज भी नौकरी छोड़ देती है। मंगलवार को गोंडा में बेसिक शिक्षा अधिकारी के सामने आईं अनामिका शुक्ला नामक महिला ने दावा किया कि वह कहीं नौकरी नहीं कर रही हैं, बल्कि उनके शैक्षिक अभिलेखों (अनामिका शुक्ला दस्तावेजों) का दुरुपयोग कर फर्जीवाड़ा किया गया है।
शुक्ला ने बेसिक शिक्षा अधिकारी डॉ। इंद्रजीत प्रजापति को अपने मूल अभिलेख दिखाते हुए कहीं भी नौकरी न करने का दावा किया गया है। उन्होंने कहा कि कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय में विज्ञान शिक्षक के लिए सुलतानपुर, जौनपुर, बस्ती, मिर्जापुर व लखनऊ में 2017 में आवेदन किया था, लेकिन न तो काउंसिलिंग में हिस्सा लिया और न ही कहीं नौकरी ही कर रहे हैं। बीएसए ने बताया कि अनामिका शुक्ला की ओर से इस आशय का शपथ दिया गया है कि उनके शैक्षिक अभिलेखों को फर्जी ढंग से इस्तेमाल किया गया है। उन्होंने शपथ पत्र में लिखा है कि मीडिया में मामला देखा गया तो मंगलवार को सच्चाई अवगत कराने के लिए यहां आईं।

 

एसटीएफ की टीम पहुंची : 

शासन से निर्देश के बाद रविवार दोपहर को एसटीएफ टीम सोरों कोतवाली पहुंची। यहां कोतवाली में बंद फर्जी शिक्षिका सुप्रिया सिंह से एसटीएफ ने काफी देर तक जानकारियां हासिल कीं। कोतवाली प्रभारी रिपुदमन सिंह ने बताया कि एसटीएफ की पूछताछ पूरी होने के बाद सुरक्षा के बीच आरोपी शिक्षिका को कोर्ट के समक्ष पेश किया। कोर्ट ने आरोपी महिला शिक्षिका को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेजने के आदेश दिए। जिस पर पुलिस उसे जिला जेल ले गई।

इस संबंध में एसपी सुशील घुले के अनुसार  आरोपी शिक्षिका से पूछताछ कर ली है। सोरों पुलिस ने आरोपी शिक्षिका को न्यायालय में पेश किया था, जहां से न्यायालय के आदेश पर उसे न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया। इस मामले में पुलिस की टीमें जांच के लिए गई स्थानों पर भेजी गई हैं। जांच चल रही है, पूछताछ में जिन लोगों के संपर्क फर्जी शिक्षिका के मामले में पता चले हैं उन्हें चिह्नित कर जांच की जाएगी।

अगर मानव संपदा पोर्टल पर फीडिंग नहीं होती तो शायद इस कालगुजारी का कभी पता ही नहीं चलता. सूत्रों की मानें तो इस बड़े फर्जीवाड़े में शिक्षा विभाग के जानकार भी शामिल थे, जिन्हें पता था कस्तूरबा गांधी आवासीय स्कूलों में संविदा पर लगने वाली नौकरी में दस्तावेज की जांच नहीं होती है. बल्कि सिर्फ साक्षात्कार के दौरान ही असली अभिलेख देखे जाते हैं. चयन मेरिट के आधार पर होता है.

ऐसे में अनामिका के दस्तावेजों को आधार बनाया गया, क्योंकि इसमें ग्रेजुएशन को छोड़ कर हाईस्कूल से इंटर तक 76 फीसद से ज्यादा अंक हैं. कासगंज में पकड़ी गई कथित अनामिका (असली नाम प्रिया जाटव ) के अनुसार उसकी मुलाकात गोंडा के रघुकुल विद्यापीठ में बीएससी करते वक्त ही मैनपुरी निवासी राज नाम के व्यक्ति से हुई थी जिसने प्रिया को नौकरी की सलाह दी. एक लाख रुपए में दस्तावेज पर नौकरी लगवाने का वादा भी किया था. उसने ही अगस्त 2018 में इसे नियुक्ति पत्र दिलाई थी.

ऐसे तैयारी किया गया था नकली दस्तावेज

बेसिक शिक्षा अधिकारी अंजली अग्रवाल के मुताबिक अनामिका शुक्ला के मूल दस्तावेजों में धुंधली फोटो भी इस फर्जीवाड़े की मददगार बनी. साक्षात्कार के दौरान यह फोटो देखी जाती है, लेकिन धुंधली होने पर अभ्यर्थी के आधार कार्ड और अन्य पहचान पत्र के आधार पर चयन किया जाता है. जिस तरह से बैंकों में अनामिका शुक्ला के नाम से खाता खुलवाया गया, उससे माना जा रहा है कि आधार कार्ड और अन्य दस्तावेज फर्जी तैयार कराए गए हैं. कोतवाली पुलिस ने बेसिक शिक्षा अधिकारी अंजलि अग्रवाल की तहरीर पर अनामिका के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज किया है.

इंस्पेक्टर रिपुदमन सिंह के अनुसार है मुकदमा दर्ज कर लिया है, लेकिन पूछताछ में नाम सहित कई अन्य जानकारियां मिली है, उनको भी विवेचना में शामिल किया जा रहा है. वहीं अनामिका शुक्ला के फर्जी दस्तावेज से नौकरी करने वाली कायमगंज की अनामिका सिंह (असली नाम प्रिया) ने पुलिस को घंटों तक गुमराह किया. पहले अपना नाम अनामिका सिंह व पिता का नाम राजेश बताया, लेकिन जब पुलिस ने सख्ती से पूछताछ की तो उसने अपना नाम प्रिया व पिता का नाम महीपाल सिंह बताया. वहीं ये मूल निवासी कायमगंज के गांव लखनपुर की बताई जा रही है.

इतना ही नहीं शिक्षिका बनने के बाद में प्रिया ने अनामिका शुक्ला के नाम से कासगंज में खाता खुलवाया. माना जा रहा है कि प्रिया ने बैंक खाते में भी फर्जी दस्तावेज का प्रयोग किया. हालांकि सरकारी कर्मियों के विभागीय दस्तावेज को भी प्रमाण पत्र के रूप मं प्रस्तुत करने पर बैंक खाता खोल देती है, लेकिन बैंक में फोटो प्रमाण पत्र की जरूरत होती है. ऐसे में माना जा रहा है कि अनामिका ने बैंक में आधार कार्ड या अन्य कोई फर्जी दस्तावेज दिया होगा. इसकी भी पुलिस जांच करेगी.

 

Sach ki Dastak

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