जम्मू-कश्मीर में बंद पड़े 50 हजार मंदिरों को खोलेगी सरकार

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केंद्रीय गृहराज्य मंत्री जी. किशन रेड्डी का कहना है कि केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर में बंद हो चुके मंदिरों, सिनेमा थिएटरों और शिक्षण संस्थाओं को दोबारा खोलने की योजना बना रही है और इसके लिए जल्द ही वहां एक सर्वे कराया जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि जम्मू-कश्मीर में निवेश के इच्छुक लोगों को वहां जमीन खरीदने की जरूरत नहीं है, वे सरकार से जमीन लेकर निवेश कर सकते हैं।

केंद्रीय गृहराज्य मंत्री का बयान –

केंद्रीय गृहराज्य मंत्री ने कहा, ‘हमने सालों से बंद पड़े स्कूलों को फिर से खोलने के लिए एक समिति का गठन किया है। बीते कुछ सालों के दौरान घाटी में लगभग 50 हजार मंदिरों को बंद कर दिया गया। इनमें से कई को क्षतिग्रस्त भी किया गया साथ ही उनकी मूर्तियों को भी नुकसान पहुंचाया गया। हमने ऐसे मंदिरों का सर्वेक्षण कराते हुए उन्हें दोबारा खोलने का आदेश दिया है। कश्मीर घाटी में एक भी सिनेमाघर नहीं हैं और जो हैं वो 20 साल से बंद पड़े हैं। हम उन्हें भी दोबारा खोलने के बारे में सोच रहे हैं। हम ऐसे स्कूलों, सिनेमाघरों, मंदिरों और अन्य बंद पड़ी जगहों का एक सर्वे कराएंगे, जो फिलहाल बंद हैं।’

हर गांव से दी जा रही पांच लोगों को सरकारी नौकरी-

आगे रेड्डी ने कहा, ‘वहां प्रचुर मात्रा में सरकारी भूमि उपलब्ध है, इसलिए जो लोग वहां निवेश करना चाहते हैं उन्हें जमीन खरीदने की जरूरत नहीं है। हम उन्हें सरकारी जमी देंगे, ताकि वे लोग वहां अपने संस्थान खोल सकें। राज्य (जम्मू-कश्मीर) के हर गांव से हम 5 लोगों को सरकारी पदों पर नौकरी दे रहे हैं। थल सेना, नौसेना और वायुसेना भी वहां भर्ती प्रक्रिया करने की योजना बना रही हैं। जम्मू और कश्मीर में हम विश्वविद्यालय खोलने की योजना बना रहे हैं। हमने पर्यटन को बढ़ावा देने का फैसला भी किया है।’

राज्य में जल्द काम शुरू करेगी एसीबीः रेड्डी

रेड्डी ने ये भी कहा कि एंटी करप्शन ब्यूरो जल्द ही उन पैसों के बारे में जांच शुरू करेगा, जो केंद्र सरकार द्वारा जम्मू और कश्मीर को विकास के लिए दिए गए थे, लेकिन वहां खर्च नहीं हुए। ये बात उन्होंने बेंगलुरु में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कही।

बच्चों के हाथ में कम्प्यूटर और झंडा देंगे-

कांग्रेस पार्टी पर निशाना साधते हुए रेड्डी ने कहा, ‘राहुल गांधी और कांग्रेस के नेता और अन्य पार्टियां पाकिस्तान की भाषा बोल रही हैं। कुछ राजनीतिक दल पाकिस्तान के समर्थन में बात कर रहे हैं। हम जम्मू-कश्मीर के बच्चों के हाथ में कम्प्यूटर और भारतीय झंडा देंगे।’ आगे उन्होंने कहा, ‘भारत ने चार बार के पाकिस्तान खिलाफ युद्ध लड़ा और जीत हासिल की। पाकिस्तान अब दुनिया में अलग-थलग पड़ चुका है। आतंकवाद के मुद्दे को लेकर प्रधानमंत्री मोदी ने पाकिस्तान को दुनिया के सामने सवालों में लाकर खड़ा कर दिया है। अनुच्छेद 370 हटाने के भारत के फैसले को अमेरिका और चीन समेत दुनियाभर के देशों से समर्थन मिला है।’

झंडे का अपमान बर्दाश्त नहीं होगा-

रेड्डी ने ये भी कहा कि जम्मू-कश्मीर में भारतीय झंडे को जलाने वाले लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा, ‘जम्मू-कश्मीर में जो लोग भारतीय झंडा जलाते थे, उनके खिलाफ कोई केस दर्ज नहीं होता है। आने वाले दिनों में अगर कोई भारतीय झंडा जलाएगा तो उसके साथ कानून के मुताबिक वैसा ही व्यवहार किया जाएगा, जैसा अन्य राज्यों में किया जाता है।’

घाटी में बंद पड़े 50 हजार मंदिरों को खोलने के केंद्र के एलान से कश्मीरी पंडितों सहित देशभर में खुशी की लहर है। बीती सदी के नौवें दशक में आतंकियों ने कश्मीर में मंदिरों को तोड़ कर बर्बाद कर दिया था। तब से अनेक मंदिर बंद पड़े हैं। श्री नगर के स्थानीय लोगों के मुताबिक श्री नगर में करफियाली मुहल्ले में रघुनाथ मंदिर में 30 साल पहले बहुत रौनक रहती थी। यह मंदिर जम्मू के रघुनाथ मंदिर से ज्यादा भव्य था और नित ही पूजा अर्चना से माहौल भक्तिमय रहता था। हाँ आज फिर उम्मीद बंधी है कि यहां जल्द जय श्रीराम का जयघोष होगा।

मंदिरों को खोलने की सराहनीय पहल –

घाटी में 1986 में शुरू हुई हिंसा के बाद प्रमुख मंदिरों को निशाना बनाया गया और कुछ तो सालों से बंद पड़े हैं।

केंद्र ने घाटी में वर्षों से वीरान पड़े हजारों मंदिरों को फिर से खोलने का ऐलान किया है। इससे खासकर कश्मीरी पंडितों में खुशी की लहर है। उन्हें उम्मीद है कि आतंकवाद और हिंसा के दौरान बर्बाद हुई यह विरासत फिर पनपेगी। आर्टिकल-370 के प्रावधानों की तरह मंदिरों से ताले हटेंगे। आरती होगी और घंटियों की आवाज वादियों में गूंजेगी। कश्मीरी संगठन ‘रूट्स इन कश्मीर’ के प्रवक्ता अमित रैना ने बताया कि साल 1986 के बाद शुरू हुई हिंसा में कई मंदिरों को निशाना बनाया गया था। मंदिरों की देखरेख करने वालों को घाटी छोड़नी पड़ी। वर्षों तक देखरेख के अभाव में वहां ढांचे भर बचे हैं। कुछ जगहों पर कब्जा हो गया। जैसे कि श्रीनगर के लाल चौक के पास करफियाली मुहल्ले में रघुनाथ मंदिर के चारों तरफ दुकानें बन गई हैं।’ घाटी के कुछ प्रमुख मंदिरों के बारे में जानिए जो वर्षों से बंद हैं…

सूर्य मंदिर-

दक्षिण कश्मीर के मार्तंड में स्थित प्राचीन सूर्य मंदिर लगभग 1500 साल पुराना है। इस मंदिर का निर्माण महाराजा अशोक के बेटे ने करवाया था। माना जाता है कि सूर्य की पहली किरण निकलने पर राजा अपनी दिनचर्या की शुरुआत सूर्य मंदिर में पूजा करके करते थे। फिलहाल मंदिर खंडहर की शक्ल में है। इस मंदिर की ऊंचाई भी 25 फुट रह गई है।

नार नाग मंदिर-

गंदेरबल जिले के तहसील कंगन में है 1500 साल पुराना भगवान शिव का मंदिर। पिछले साल इसमें तोड़फोड़ की घटना सामने आई थी।

शीतलेश्वर मंदिर-

श्रीनगर के हब्बा कदल में 2000 साल पुराना शीतलेश्वर मंदिर है। जर्जर हालत में पहुंच चुके इस मंदिर को कश्मीरी पंडितों के एक संगठन ने फिर से आबाद किया था। हालांकि डर के माहौल के बीच मंदिर की देखरेख नहीं हो रही है। यह सूना पड़ा है।

खीर भवानी मंदिर-

श्रीनगर से 30 किमी दूर गंदेरबल जिले के तुल्ला मुल्ला गांव में स्थित यह मंदिर कश्मीरी पंडितों की आराध्य रंगन्या देवी का है। यहां हर साल खीर भवानी महोत्सव मनाया जाता है। आतंकवादियों ने इस इलाके में कई बार हमला किया, जिसके बाद मंदिर को बंद करना पड़ा।

किश्तवाड़ स्थित माता सरथलदेवी मंदिर

भवानी मंदिर-


कश्मीर के अनंतनाग जिले में है भवानी मंदिर। 1990 में कश्मीरी पंडित घाटी छोड़कर गए, तो यह इलाका और मंदिर भी सूना हो गया। देखरेख के अभाव में बस ढांचा ही बचा है।

रूप भवानी मंदिर

त्रिपुरसुंदरी मंदिर-
कुलगाम जिले के देवसर इलाके में त्रिपुरसुंदरी मंदिर है। इसकी देखभाल करने वालों का कहना था कि आतंकियों की धमकी चलते इस मंदिर में रोजाना पूजा नहीं हो पाई।

मट्टन

पहलगाम मार्ग पर श्रीनगर से 61 किमी दूर यह हिंदुओं का पवित्र स्थल माना जाता है। यहां एक शिव मंदिर और खूबसूरत झरना है। वर्षों से बंद है।

ज्वालादेवी मंदिर-

श्रीनगर के पुलवामा से करीब 20 किमी दूर खरेव में स्थित यह मंदिर कई वर्षों से बंद है। यह कश्मीरी पंडितों की ईष्ट देवी का मंदिर है।

कश्मीर में धर्म के अंधे जिहादी तत्व जब भी मौका मिलता रहा है, मंदिरों को निशाना बनाते रहे हैं। पाकिस्तान में भुट्टो को फांसी हुई हो या फिर जिया उल हक की मौत, पाक समर्थक तत्वों ने मंदिरों को तोड़ा। वर्ष 1986 में कश्मीर में कई मंदिरों को जलाया गया। वर्ष 1989 में जब आतंकवाद ने कश्मीर में पांव जमाए तो जिहादी तत्व और कट्टरपंथियों की भीड़ हमेशा मंदिर में घुसकर लूटपाट करती। अधिकांश मंदिरों की जमीन पर कब्जा हो गया।

हवल इलाके में स्थित बेताल भैरव मंदिर की 30 कनाल जमीन थी, जो आज दो कनाल तक सिमट गई है। लालचौक में गुरुद्वारे के पास स्थित एक मंदिर जो अब नजर नहीं आता, उसकी चारों तरफ दुकानें हैं। वसंत बाग स्थित दो मंदिर ढांचे तक सीमित रह चुके हैं। हनुमान मंदिर के महंत कामेश्वर दास ने कहा कि यहां हमारे मंदिर की बहुत सी संपत्ति थी, जो खुर्द-बुर्द हो चुकी है। सरकार के एलान से हम कह सकते हैं कि यहां मंदिर बच जाएंगे और हमारी संस्कृति भी।

कश्मीर में टूटे मंदिरों का सर्वे होगा-

सरकार कश्मीर में टूटे मंदिरों का सर्वे करवाएगी जिनसे उन पुरातन मूर्तियों की भी जानकारी मिलेगी जोकि स्थानीय लोगों के मुताबिक जिन्हें आतंकियों ने झेलम नदी में फेंक दिया था और जो सैकड़ों धार्मिक पांडुलिपियां थीं उन्हें भी जला दिया गया था ।

मंदिर की जगह पर सन्नाटा –

कश्मीर में जहां कभी सुबह शाम हर इलाके में पूजा की घंटियों की आवाज आती थी, अब गिने-चुने मंदिर ही नजर आते हैं।अगर आप क्षीरभवानी, शंकराचार्य मंदिर, गुप्त गंगा, मंजगाम, त्रिपुर सुंदरी, सूर्ययार, रानी मंदिर, गणपतयार मंदिर या फिर हनुमान मंदिर को छोड़ दें तो शायद ही कोई अन्य मंदिर किसी को खुला नज़र आये।

खुशी की लहर-

कश्मीर में जब आतंकवाद चरम पर था, तब अनेक नए-पुराने मंदिरों को तहस-नहस कर दिया गया। कश्मीरी पंडितों को निशाने बनाने के साथ बड़ी संख्या में मंदिरों और मठों को नुकसान पहुंचाया गया। उन पर कब्जे भी कर लिए गए। गृह राज्य मंत्री का बयान सामने आते ही यहां हिंदू समुदाय में खुशी की लहर दौड़ पड़ी। वर्ष 1989 में आतंकियों की धमकियों के बावजूद कश्मीर से पलायन न करने वाले कुछ पंडितों ने कहा कि अब फिर उम्मीद बंधी है कि यहां मंदिरों के बंद किवाड़ खुलेंगे, मंदिर भी उसी तरह आजाद होंगे जिस तरह से हम लोग अनुच्छेद 370 से आजाद हुए हैं।

सच तो यह है कि कश्मीर में मदिरों को सिर्फ कश्मीर से सनातन संस्कृति को मिटाने के लिए और सनातन संस्कृति को मानने वालों का मनोबल तोड़ने के लिए ही तोड़ा जाता रहा है। सरकार यदि मंदिरों की जमीनों पर हुए अवैध कब्जों को हटाती है तो कश्मीर में कश्मीरियत व सनातन परंपराओं की बहाली होगी।

Sach ki Dastak

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