कुटई मूलवर्मन साम्राज्य, इंडोनेशिया के राजा का इंटरव्यू लेने वाली प्रथम भारतीय महिला बनी ब्लॉगर आकांक्षा सक्सेना

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कुटई मूलवर्मन साम्राज्य के महामहिम महाराजा एच. आर.  एम. प्रो.  डाॅ. एचसी.एमएसपीए.  लानस्याहरीशज़ा का इंटरव्यू व इतिहास लिखने वाली प्रथम भारतीय महिला बनी – सच की दस्तक राष्ट्रीय मासिक पत्रिका वाराणसी की न्यूज एडीटर एम्बेसडर. डॉ. ब्लॉगर आकांक्षा सक्सेना, वाराणसी 
चोलन वर्ल्ड बुक ऑफ रिकार्ड, तमिलनाडु ने उन्हें सम्मानित किया है। इस वर्ल्ड रिकॉर्ड से पहलेे आकांक्षा सक्सेना को देश व विदेश से अनेकों सम्मान मिल चुके हैं।
ब्लॉगर आकांक्षा सक्सेना स्क्रिप्ट राईटर ऐसोसिएसन मुम्बई की सदस्य हैं तथा इंडोनेशिया की संस्था एडूकेंडा पैरा पाजा की विशेष सदस्य हैं और गोल्ड कार्ड धारक हैं। ब्लॉगर आकांक्षा सक्सेना अंतरराष्ट्रीय ह्यूमन राईट कौंसिल IHRC की volunteer हैं तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होनरी डॉक्टरेट से सम्मानित हैं। 

            –ब्लॉगर आकांक्षा सक्सेना 

         प्रोफाइल

ब्लॉगर आकांक्षा सक्सेना 

जन्म- मथुरा उत्तर प्रदेश 

कार्य क्षेत्र – वाराणसी उत्तर प्रदेश 

शिक्षा:  बी.एस.सी,बी.एड,एम.एड, पत्रकारिता 

लेखन  – कहानियाँ, पटकथा,कविताएँ, गीत,भजन, लेख,श्लोगन, संस्मरण।

फिल्म – दर्दफेहमियां जोकि युवाओं में आत्महत्या के रोकनेहेतुु सामाजिक जागरूकता फिल्म रह ,वहीं दूसरी रक्तदान पर आधारित रक्तप्रदाता और तीसरी शॉर्ट फिल्म खाने की बर्बादी के रोकने पर आधारित फिल्म ए सोयल दैट बीट्स में बतौर एसोसिएट डॉयरेक्टर कार्य। 

सोसलवर्क –  सर्व समाजहित के लिये कई मुहिम चलाई काम किये जैसै- एक लिफाफा मदद वाला, पॉलीथिन हटाओ कागज उढ़ाओ, अखबार ढाकें, कीटाणु भागें, सेवा व परोपकार भरी मुहिम घर से निकलो खुशियां बाटों व घुमन्तु जाति के गरीब बच्चियों के परिवार को समझाकर उनका स्कूल में दाखिला कराना जैसे सेवा कर्तव्य शामिल हैं।

प्रकाशित: लेख,कविता,शोधपत्र एवं कहानियां भारत  और यूएसए के कई नामचीन समाचार पत्रों एवं पत्रिकाओं में प्रकाशित। कई पत्र पत्रिकाओं में बतौर सलाहकार कार्य । 

किताबें प्रकाशित -, दिवस द इंडियन म्यूटन, जरूरत, बवाल, अंतिम पेज, द फोटो किलर, सीन न. 39, मृत्युभोज ‘एक हास्य कथा’, कई काव्य संग्रह 

पुरस्कार सम्मान –

चोलन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड, तमिलनाडु, ओ. एम. जी बुक ऑफ रिकार्ड, दिल्ली, इंडियन स्टार गोल्डन अवार्ड 2020, अखिल नागरिक हक परिषद मुम्बई एनजीओ सपोर्ट प्रमाणपत्र, आर्ट एण्ड क्राफ्ट, पिडिलाईट कलाकृति कॉन्टेस्ट की विनर, गायत्री महायज्ञ हरिद्वार की संस्कार परीक्षा प्रमाणपत्र,गोलिया आयुर्वेदिक प्राकृतिक चिकित्सा प्रमाणपत्र,दिल्ली योग प्राणायाम अणुव्रत जैनमुनि केन्द्र से योग सिविर अटेण्ड, प्रेरणा एनजीओ झारखण्ड़, अंतर्राष्ट्रीय कायस्थवाहिनी सामाजिक धार्मिक संगठन द्वारा समाजहित व लेखन में सप्तऋषि अंतर्राष्ट्रीय अवार्ड, साहित्य परिषद द्वारा काव्य श्री सम्मान, अर्णव कलश साहित्य परिषद हरियाणा द्वारा बाबू बाल मुकुंद गुप्त साहित्य सेवा सम्मान-2017 तथा साहित्य के चमकते दीप साहित्य सम्मान। बाबा मस्तनाथ अस्थल बोहर अर्णव कलश एसोसिएशन अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में शोध प्रमाण पत्र। बायो एक्सीलेंस सोसाइटी वारााणसी द्वारा जल संरक्षण मित्र, पर्यावरण मित्र दो हजार तुलसी पौधे रोपित मित्र सम्मान। कल्कि गौरव अवार्ड, कोलन एचीवर अवार्ड तमिलनाडु, प्यूपिल अवेयरनेस कॉंसिल तमिलनाडु से ह्यूमन बीइंग अवार्ड , विश्व साहित्य परिषद भूटान की राजदूत, गांधी शांति फाऊंडेशन नेपाल से कोरोना मुक्ति पहल की प्रशंसा प्रमाणपत्र। आर्थिक और सामाजिक मामलों के संयुक्त राष्ट्र विभाग (UNDESA) की सदस्य,मानवता और मातृभूमि, मोरक्को की शांति और आशा के लिए विश्व संगठन की राजदूत सम्मान निमंत्रण कार्ड – विश्व शांति के लिए शिक्षा का अंतर्राष्ट्रीय कांग्रेस, ब्राजील, विश्व शांति परिषद मोरक्को से सम्मान सफिकेट, भारत सरकार का पोषण महाअभियान (राष्ट्रीय पोषण मिशन) की ई-लर्निग प्रमाणपत्र, इंडोनेशिया के कुटई साम्राज्य के महाराजा –महाराजा एच. आर.  एम. प्रो.  डाॅ.  एचसी.एमएसपीए.लानस्याहरीशज़ा. एफडब्ल्यू पीएचडी द्वारा डॉक्टरेट की उपाधि व उनके इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट इंस्टीट्यूटो एडूकांडो पारा अ पाज़ इंटरनेशनल, इंडोनेशिया व यू. एन से प्रोफेसर ऑफ पीस सम्मान, इंटरनेशनल यूनीवर्सिटी फॉर स्टडीज एंड रिसर्च इन अल्जीरिया से ‘डॉक्टोरल डिग्री सर्टिफिकेट’ सम्मान तथा इंटरनेशनल ह्यूमन राईट कमीशन, यूरोप वालेंटियर सर्टिफिकेट। कोरोना योद्धा सम्मान स्टेट प्रेसीडेंट एंटी कोरोना टास्क फोर्स, इंडिया, श्री नारायण मानव सेवा समिति राजस्थान द्वारा सम्मान पत्र प्राप्त।चौधरी आर्ट ट्रस्ट हरियाणा द्वारा होनरी डॉक्टरेट। डायनामिक पीस रेस्कू मिशन इंटरनेशनल (पीसकीपिंग एंड बिल्डिंग एकेदमी) नाईजीरिया द्वारा ‘होनरी डॉक्टरेट’ और डॉक्टर ऑफ एक्सीलेंस। वैनेजुऐला देश से मानव अधिकारों में डॉक्टरेट की उपाधि, सीरिया देश की संस्था इको अकादमी से सम्मान पत्र, मिस्र देश के पूर्ण कला और कविता मंच से सर्वोच्च सम्मान प्रमाण पत्र। महाराजा कुटई मूलवर्मन इंडोनेशिया द्वारा शांति और स्वतंत्रता के लिए अंतर्राष्ट्रीय आयोग से मिला सम्मान पत्र। बांग्लादेश देश से मिला विश्वशांतिदूत अवार्ड, दुबई से मिला विश्वशांतिदूत अवार्ड, आसाम बुक ऑफ रिकॉर्ड से मिला (जिम्मेदार भारतीय सम्मान ) । बाल युवा नारी जागृति मंच रोहतक हरियाणा द्वारा मिला ऑनलाइन प्रतिभा सम्मान। ग्लोबल इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेट साईंस, इंडिया से मिला ‘अंतरराष्ट्रीय मानवता सम्मान’।मानवता और रचनात्मकता के लिए अंतर्राष्ट्रीय सांस्कृतिक मंच, सीरिया देश से मिला ‘सांस्कृतिक रचनात्मकता के राजदूत सम्मान’। इंडोनेशिया के शांति और मानवता  संगठन पादपोकन कुजंग संडेना द्वारा अंतर्राष्ट्रीय शांतिदूत सम्मान। दीपदान फाऊंडेशन कानपुर से प्रशंसा प्रमाणपत्र प्राप्त।‘समाज स्वदेश शांति’ संस्था अयोध्या द्वारा स्वदेश एक्सीलेंस आर्टिस्ट अवार्ड – २०२० प्राप्त। डब्ल्यू ए सी प्यूपिल कौंसिल द्वारा इंटरनेशनल गोल्ड अवार्ड सर्टिफिकेट। ट्यूनीशिया देश की संस्था WFFCFS से मित्रता सम्मान, मेम्बरसिप, प्रशंसा प्रमाणपत्र ।सोलापुर मुम्बई की स्काउट एंड गाईड संस्था द्वारा सम्मान पत्र। आई. एफ. एस फॉरेंसिक साईंस द्वारा क्विज सम्मान पत्र, वर्ल्ड रिकार्ड बाईनेल फाऊंडेशन एसिस्ट द्वारा काइन्डनेस सर्टिफिकेट। अंसारी विकास चैरिटेबल ट्रस्ट, कोलकाता कोरोना योद्धा सम्मान। मार्शल आर्ट संगठनों के विश्व कटसूडोकई तुर्की संघ, तुर्की से मिला सम्मान, वेक प्यूपिल कौंसिल, वर्ल्ड अगेंस्ट कार्पोरेशन इंडिया से कोरोनायोद्धा सम्मान। ह्यूमन राईट्स बहर्ष नेशलन फोरम से सम्मान पत्र, स्टिगमा फ्री ओसी से कोरोना जागरूकता सम्मान, हुन बॉक्सिंग फेडरेशन एंड मार्शल आर्ट (एचबीएफ) तुर्की से मिला धन्यवाद सर्टिफिकेट। उड़ीसा के सूर्योदय साहित्यिक फाऊंडेशन ‘सेल्फ पोइट’ से उपलब्धि प्रमाणपत्र,महानगा कटक उडीसा से कोरोना वर्ल्ड वाइड प्रतिज्ञा प्रमाण पत्र, न्यूज बीट मीडिया सलाम की तरफ़ से सम्मान प्रमाणपत्र, इंडियन यूथ अचीवमेंट अवार्ड की तरफ़ से कोरोनायोद्धा सम्मान सर्टिफिकेट, फिगर ऑफ पीस सर्टिफिकेट और पीस मैडल, मोरक्को । आउटस्टेंडिग सोसल वर्क अवार्ड, भूटान। फिलीपींस की संस्था  ‘एजुकेशन के जरिए क्लाइमेट एक्शन’ द्वारा  ‘क्लाइमेट एक्शन एडवोकेट सर्टिफिकेट’. 

संप्रतिस्वतंत्र ऑनलाइन ब्लॉगर, वर्ल्ड पीस एंड ह्यूमैनिटी एक्टिविस्ट, मेम्बर ऑफ स्क्रिप्ट राईटर ऐसोसिएसन मुम्बई,समाचार संपादक राष्ट्रीय पत्रिका सच की दस्तक। 

Full Name – Amb. Dr. Blogger Akanksha Saxena 

Education – B.Sc ,BE.d ,ME.d,M.J.M.C

WORK PLACE – varanashi Uttar Pradesh 

Home – District Auraiya Uttar Pradesh 

JOB/ Presently –  Social awareness Blogger ‘Samaj Aur Hum’ And Journalist – “Sach ki Dastak ” National Magazine, Member of Screen Writer Association Mumbai, Ambassador of World Peace and Humanity Varanashi U.P. India, Institute of Indonesia- Regional President of Instituto Educando Para A Paz Uttar Pradesh India. Volunteer in International Human Right Council (IHRC). Member of United Nations Department of Economic and Social Affairs (UNDESA), Member of Dynamic Peace Rescue Misson International (peacekeeping Academy) Nigeria. 

Fim work –  short film Dardaphemiyaan, Rakt Pradata, Asoul that’s beat. 

Published Books–  Divas the indian Mutant, zarurat, Bawal, Antim Page, scene no. 39, Mratubhoj. Many poetry collections

RECORD – First Indian lady journalist and blogger have an interviewd of The HRH King Kutai Mulvarman, Indonesia,Maharaja Srinalapradeep Alpin: Hrechza Fechlevi, whose ancestors migrated from India to Indonesia in the 3rd century, did not return to India but respected India.Apart from taking interviews, she has written a detailed history of India in connection of Maharaja Kutai Moolavarman’s ancestors.This record has been compiled for the purpose of preserving Indian ancient history.

Honor – Cholan Book of World Record, Tamil Nadu. O. M. G Book Of Record, DELHI. Awarded ‘Indian Star Golden Award 2020’‘Water Conservation Friend Award’ by Bio Excellence Society Varanasi. Honorary Doctorate and ‘Professor of Peace’ honors by the Emperor HRM Prof. HC MSPA Lanshyahryza of the Kutai Empire of Indonesia. Honorary Doctorate by  Dynamic Peace Rescue Misson International (peacekeeping Academy) Nigeria. Honorary Doctorate by  The INSTITUTE FOR EUROPEAN ROMA STUDIES AND CRIME RESEARCH AGAINST HUMANITY AND INTERNATIONAL LAW Serbia Rome. Chaudhary Art Trust Haryana by ‘Honorary Doctorate’Doctorate in Human Rights from the country of Venezuela. World Peacekeeper Award by Bangladesh, World Peacekeeper Award by Dubai. International Peace and Human Rights Ambassador Certificate from the World Literary Forum for Peace and Human Rights (Bhutan). Highest honor certificate from the Complete Arts and Poetry Forum of the country of Egypt.Doctoral Degree Certificate from the International University for Studies and Research in Algeria. Swadesh Excellence Artist Award 2020 by ‘Samaj Swadesh Shanti’ organization Ayodhya, Membership Certificate of Appreciation from Tunisia Country Organization WFFCFS. Peace Madel And figure of Peace byThe Culture and Sport, Morocco, Climate Action Advocate certificate by Climate action through education,Philippines. 

County – The Great India🇮🇳

         संदेश 

सच कहूँ तो हम ही हमारे सपनों की सबसे बड़ी रूकावट हैं और हम न चाहते हुए भी अपनी कमजोर इच्छाशक्ति के साथ जीते चले जाते हैं । हमारे अनावश्यक तर्क और अनंत आशंकाएं हैं अन्यथा यही सही पल बिल्कुल सही समय है। वरना काश! मैं अपने जीवन में ऐसा कर पाता! बस इसी एक लाइन को पकड़ कर बैठना पड़ता है।

वर्ल्ड रिकार्ड का आधार बना किंग ऑफ कुटई मूलवर्मन, इंडोनेशिया का साक्षात्कार और उनका इतिहास – 
 
कुटई मूलवर्मन साम्राज्य की शुरूआत से पहले यह जानना जरूरी है कि ईसा पूर्व ४वीं शताब्दी से ही इंडोनेशिया द्वीपसमूह एक महत्वपूर्ण व्यापारिक क्षेत्र है।  बुनी- मुनिनीकरण इंडोनेशिया की सबसे पुरानी सभ्यता है।  ४वीं शताब्दी ईसा पूर्व तक ये सभ्यता काफी उन्नति कर चुकी थी।  ये हिंदू और बौद्ध धर्म मानते थे और ऋषि परंपरा का अनुकरण करते थे।  अगले दो हजार साल तक इंडोनेशिया एक हिंदू और बौद्ध देशों का समूह रहा।  यहाँ हिंदू राजाओं का राज था।  किर्तानेगारा और त्रिभुवन जैसे राजा यहाँ सदियों पहले राज करते थे।  श्रीविजय के दौरान चीन और भारत के साथ व्यापारिक संबंधित थे।  स्थानीय शासकों ने धीरे-धीरे भारतीय सांस्कृतिक, धार्मिक और राजनीतिक प्रारुप को अपनाया और कालांतर में हिंदू और बौद्ध राज्यों का उत्कर्ष हुआ।  इंडोनेशिया का इतिहास विदेशियों से प्रभावित रहा है, जो क्षेत्र के प्राकृतिक संसाधनों की वजह से खिंचे चले आए।  मुस्लिम चरित्र अपने साथ इस्लाम लाए।  विदेशी चरित्र मुस्लिम यहाँ आकर व्यापार के साथ अपना धर्म भी फैला रहे थे जिसके कारण यहाँ की पारंपरिक हिंदू और बौद्ध संस्कृति को पुर्णत: समाप्त हो गए, लेकिन इंडोनेशिया के लोग भले ही आज इस्लाम को मानते हों लेकिन उस यहाँ आज भी हिंदू धर्म समाप्त नहीं हुआ।  यहाँ यहाँ के इस्लामी संस्कृति पर हिंदु धर्म का प्रभाव दिखता है।  लोगों और स्थानों के नाम आज भी अरबी और संस्कृत में रखे जाते हैं यहां आज भी पवित्र कुरान को संस्कृत भाषा मे पढ़ी व पढ़ाई जाती है।
    इंडोनेशिया नाम का मतलब भारत के पुराणों में दीपंगार भारत (यानी सागर पार भारत) है।  यूरोप के सूचियों ने १५० वर्ष पूर्व इसे इंडोनेशिया (इंदि = भारत + ने वर्ता = द्वीप के लिये) दिया और यह धीरे धीरे लोकप्रिय हो गया।  अब हम बात करते हैं कुटई की जोकि पूर्व कालीमंतन, इंडोनेशिया में बोर्नियो द्वीप पर एक ऐतिहासिक क्षेत्र है और यह साम्राज्य वहां की मूल जातीय का नाम भी है, लगभग 300,000 की संख्या में एक ही नाम और उनकी अपनी समृद्ध इतिहास की अपनी भाषा है।  आज का नाम पूर्वी कालीमंतन में तीन रीति-रिवाजों के नाम पर रखा गया है, कुट्टी करतानेगारा रीजेंसी, वेस्ट कुताई रीजेंसी और ईस्ट कुट्टी रीजेंसी।  यह कुटई साम्राज्य की प्रमुख नदी महाकम नदी है।  कुटई साम्राज्य के वर्तमान उत्सर्जन महामहिम महाराजा एच. आर.  एम. प्रो.  डाॅ. एचसी.एमएसपीए.  लानस्याहरीशज़ा।  एफडब्ल्यू पीएचडी  विद्वान महाराजा हैं।  महाराज की विदुषी पत्नी का नाममहरातु श्रीनिला कर्मिला पर्कास्तियावती देवी जिसे 2005 में शादी की।  उनके यशस्वी पुत्र और पुत्रियों के नाम (1) एच.आर.एम.  महाराज मुदा नाला इंद्र वक्रोच दिलया जेनगे श्री राजा – 24 अक्टूबर, 2010 राईडिंग द वायसराय किंग – 27 दिसंबर, 2017(२) एच।  आर।  एच।, इमातु मुदा मयांग मुलवरनी पर्तवी (3) एच.आर.एच.  महारतु मुदा वज़रा फदमी।और यह सभी हमेशा देश को विशेष रूप से (एनकेआरआई) को समर्पित करने के लिए समर्थन और उत्साह प्रदान करते हैं और कुटीई मूलवर्मन के साम्राज्य को प्रथम नुसंतरा साम्राज्य के रूप में जाना जाता है। बता दें कि कुटई किंगडम आर्किपेलागो में हिंदू साम्राज्य है जो इंडोनेशिया में सबसे पहला ऐतिहासिक साक्ष्य साम्राज्य है।  कुटई साम्राज्य की स्थापना 4 वीं शताब्दी (लगभग 400 सी.ई.) से हुई है, जो कि कुटई साम्राज्य के अस्तित्व को मुरा कामन, कुताई कीर्तनगारा रीजेंसी, पूर्वी कालीमंतन, इंडोनेशिया में 7 यूपा आकार के शिलालेख स्तंभ से मिला था।यह राज्य पूर्वी कालीमंतन के मुरा कामन में स्थित है, विशेष रूप से महाकम नदी के ऊपरी छोर पर।  हिंदू के पल्लव शिलालेख की भाषा में ‘कुताई’ नाम का अर्थ है “ब्राह्मण पुजारियों के लिए एक उपहार”।  शिलालेखों से पता चलता है कि 4 वीं शताब्दी में, पठार से राज्य के अस्तित्व का संकेत दिया गया था।  जब भारतीय व्यापारी सुमात्रा, जावा और सुलावेसी के द्वीपों पर पहुंचे, तो इन धर्मों की संस्कृति को क्रमशः 2 या 4 शताब्दी के आसपास इंडोनेशिया में लाया गया था।
     इंडोनेशिया के कुटई मूलवर्मन साम्राज्य को भारत में भी सम्मान से जाना होगा क्योंकि उसकी उत्पत्ति मगध भारत से हुई है।  बता दें कि भारत के महान सम्राट पुष्पमित्र शुंग के ही वंशज हैं।
     जानिए!  उस सम्राट पुष्यमृत शुंग (१८५ – १४ ९ ई॰पू उत्तर) उत्तर भारत के पुष्यमित्र एक महान राजा थे।मगढ़ का नाम द्वापरयुग से जाना जाता है।  मगध का पहला सम्राट बृहद्रथ।  बृहद्रथ का पुत्र जरासंध।  जरासंध के पुत्र सहदेव।  भगवान श्रीकृष्ण ने जरासंध के पुत्र सहदेव को मगध का राजा घोषित किया।  सहदेव ने महाभारत के युध में पाण्डवों का साथ दिया।जिन्हें भगवान श्री कृष्ण जी ने आज से लगभग 5200 साल पहले पुनः सनातन धर्म में स्थापित किया था।  लेकिन जब मौर्य साम्राज्य के समय बौद्ध धर्म के अनुयायियों ने ग्रीक लोगों के साथ मिल कर राष्ट्र द्रोह और राज्य द्रोह किया तब उस समय पुष्यमृत शुंग ने बौद्ध और ग्रीक लोगों का सम्पूर्ण विनाश किया और फिर से पूरे भारत में सनातन धर्म स्थापित किया।
    महाभाष्य में पतंजलि और पाणिनि की अष्टाध्यायी के अनुसार पुष्यमित्र शुंग जो भारद्वाज गोत्र के ब्राह्मण थे।  इस समस्या के समाधान के रूप में जे॰सी॰ घोष घोष यानि कायस्थ ने उन्हें द्वैयमुष्ययन ने बताया कि ब्राह्मणों की एक द्वैत गोत्र माना जाता है।  साम्राज्य की राजधानी पाटलिपुत्र थी।  पुष्यमित्र प्राचीन मौर्य साम्राज्य के मध्यवर्ती भाग को सुरक्षित रखने योग्य में सफल रहा।  पुष्पमित्र शुंग का साम्राज्य उत्तर में हिमालय से लेकर दक्षिण में बरार तक और पर्चिम में पंजाब से लेकर पूर्व में मगध तक फ़ैला हुआ था।  दिव्यटन और तारानाथ के अनुसार जालन्धर और स्यालकोट पर भी उसका अधिकार था।  साम्राज्य के विभिन्न भागों में राजकुमार या राजकुल के लोगो को राज्यपाल नियुक्त करने की परम्परा चलती रही।  पुष्यमित्र ने अपने पुत्रों को साम्राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में सह शासक पदों के योग्य बना रखा था।  और उसका पुत्र अग्निमित्र विदिशा का उपराजा था।  धनदेव कौशल का राज्यपाल था।  राजकुमार जी सेना के संचालक भी थे।  इस समय भी ग्राम शासन की सबसे छोटी इकाई होती थी। इस अवधि तक आते-आते मौर्यकालीन केंद्रीय नियन्त्रण में शिथिलता आ गयी थी और सामंतीकरण की प्रवृत्ति सक्रिय होने लगी थी।शुंग वंश प्राचीन भारत का एक शासकीय वंश जिसने मौर्य राजवंश के बाद शासन किया  किया।  इसका शासन उत्तर भारत में 178 ई.पू.  ई 75 ई.पू.  तक यानि 112 साल तक रहा था।  पुष्यमित्र शुंग इस राजवंश का प्रथम शासक था।शुंग वंश का अंतिम भाव देवहूति था, उसके साथ ही शुंग साम्राज्य समाप्त हो गया था।  शुग-वंश के शासक वैदिक धर्म के मानने वाले थे।  उनके समय में भागवत धर्म की विशेष उन्नति हुई।  शुंग वंश के शासकों की सूची इस प्रकार है – पुष्यमित्र शुंग (185 – 149 ई.पू.) अग्निमित्र (149 – 141 ई.पू.) वसुजयती (141 – 131 ई। पू) वसुमित्रा (131 – 124 ई.पू.)  ) अन्ध्रक (१२४ – १२२ ईपू।) पुलिन्दक (१२२ – ११ ९ ईपू।) घोष शु्रमग्लाग्रामित्र भगभद्र देवता (73३ – .३ ई। पू।) पुष्यमित्र के शासनकाल की एक महत्वपूर्ण घटना थी, पश्चिम से यवनों (यूनानियों)।  वैयाकरण पतंजलि, जो कि पुष्यमित्र का समकालीन थे, ने इस आक्रमण का उल्लेख किया है।
     कालिदास ने भी अपने नाटक मालविकाग्निमित्रम में वसुदेव का यवनों के साथ युद्ध का ज़िक्र किया।  भरहुत स्पूत का निर्माण पुष्यमित्र ने करवाया था। शुंग शासकों ने अपनी राजधानी विदिशा में स्थापित किया था।  मगध महाजनपद की सीमा उत्तर में गंगा से दक्षिण में विन्ध्य पर्वत तक, पूर्व में चम्पा से पयच्छिम में सोन नदी तक विस्तृत थे।मगढ़ की प्राचीन राजधानी राजगृह थी।  यह पांच सड़कों से घिरा नगर था।  कालान्तर में मगध की राजधानी पाटलिपुत्र में स्थापित हुई।  मगध राज्य में तत्कालीन शक्तशाली राज्य कौशल, वत्स व अवन्ति को अपने जनपद में मिला।  इस प्रकार मगढ़ का विस्तार अखण्ड भारत के रूप में हो गया और प्राचीन मगध का इतिहास ही भारत का इतिहास बना।
    आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह कुताई साम्राज्य के वर्तमान महाराजा श्रीनाला प्रदीप्त अलपसिंयारेज्जा फचलेवी वांगसवर्मन, एच.आर.एम.  प्रो. डॉ. एचसी. एम. एस. पी. इयांशाहरेज़ा  एफडब्ल्यू पीएच.डी. डिग्रीधारक उच्चशिक्षित विद्वान महाराजा हैं। वह कहते हैं समय की भयंकर आँधियों ने हमारे कुटई साम्राज्य को अपनी असहनीय धुंध से धुंधला कर दिया था । उसने हमारा 100 वर्षों से अधिक इतिहास से मिटा दिया गया था, लेकिन यह नहीं होता है कि हमें कमजोर इच्छाशक्ति रखें। हमने मजबूत इच्छाशक्ति और संकल्प से सिद्धि के मंत्र को जीवन में उतारा। मेरा मानना है कि जब हम मजबूत होते तो भगवान भी हमारा साथ अवश्य देते हैं। मैंने अपने पूर्वजों की विरासत को संजोया, सम्भाला, सुरक्षित किया। जब हमने महाराज से पूछा कि महामहिम आपको भारत और अपना मगध, बिहार याद आता है तो वह भावुक हो गए और बोले हाँ! बिल्कुल मुझे भारत बहुत याद आता है क्योंकि हमारी जड़ें भारत के मगध में हैं जो हमारे महान पूर्वजों की तपोभूमि है। हमने पूछा कि एक राजा का जीवन कितना कठिन होता है? तो उन्होंने कहा कि हमारे राज्य ने यूरोपीय उपनिवेश में 350 वर्षों की कठिन अवधि का अनुभव किया है और इंडोनेशिया को एक राष्ट्र बनने तक बिजली की हानि का अनुभव किया है और किंगडम को प्रथागत कानून के साथ शासन करने की अनुमति दी गई है और केवल राष्ट्र की देखभाल करने के लिए इंडोनेशिया से अलग नहीं किया गया है और सरकार  देश की देखभाल करने के लिए, मैं इंडोनेशिया की स्वतंत्रता में रहने वाला पहला राजा हूं और वापसी के इतिहास के बारे में पूछता हूं और संस्कृति का निर्माण करता हूं और 2001 से अब तक के काले इतिहास को उजागर करता हूं, अब तक संघर्ष बहुत सारी बाधाओं को पूरा नहीं कर पाया है, क्योंकि एक साम्राज्य को व्यवस्थित करने के लिए एक इतिहास बनता है  लंबे समय तक और एक राजा वह है जो लोगों को शांतिपूर्ण जीवन के लिए शिक्षित करता है।हमने कहा महामहिम आप विश्व शांति और मानवाधिकार पर भरोसा करने वाले राजा हैं कृपया विश्व शांति में कुछ संदेश दीजिए। तब उन्होंने कहा कि- दुनिया अब वेदों के युग के शासनकाल का अनुभव कर रही है, धर्म समाप्त नहीं हुआ है। इस युग में विवाद मत करो, भगवान के पास लौटकर जाना है।अंत में यही कहूंगा कि  जब आप कहते हैं कि अच्छा काम करने का समय नहीं है क्योंकि जीवन बहुत व्यस्त है, तो आप अपने आप को उस विशाल अस्तित्व से दूर कर लेते हैं जो अनसुलझे रहस्य को जोड़ने और सुलझाने के लिए बनाया गया था। शिक्षित बनें और मानवता का सम्मान करें।

Sach ki Dastak

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