IPS संतोष मिश्रा ने दिव्यांग पिता के साथ गुब्बारे बेचते देख बच्चे की पढ़ाने की जिम्मेदारी ली-

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हम सब हमेशा ही पुलिस को घूसखोर कहकर पुकारते रहते हैं कोसते रहते हैं. . पर कहते हैं ना पांच उगुलियां बराबर नहीं होती हैं, ठीक वैसे पुलिस की बेहतरीन करूण छवि पेश की है जिला इष्टिकापुरी यानि इटावा के SSP संतोष मिश्रा। संतोष गुब्बारा बेचने वाले दिव्यांग शख्स के मासूम बेटे का पुलिस मार्डन स्कूल में कक्षा 4 में एडमीशन कराकर एक नई मिसाल कायम की है। SSP ने मासूम की पढाई से लेकर अन्य शैक्षिक जरूरतों को पूरा करने का खर्च खुद उठाने का निर्णय लेकर एक तरह से बडा संदेश भी दे दिया है।

सूत्रों से मिली रिपोर्ट के मुताबिक इटावा के SPP संतोष कुमार मिश्रा शहर के डा. राममनोहर लोहिया पार्क की ओर पैदल गश्त पर थे, उनके साथ पुलिस बल भी था तभी उनको गुब्बारे बेचकर अपना और परिवार का पेट पालने वाला एक दिव्यांग शख्स दिखा। उसके साथ उसका बेटे भी था। ट्राई साइकिल पर बैठे उस शख्स से बात करने पर पता चला कि आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के चलते वह बच्चा अपनी पढ़ाई नहीं कर पा रहा। जिसके बाद उन्होंने उस मासूम बेटे को बेहतर शिक्षा दिलाने का भरोसा दिलाते हुए एक बेहतर स्कूल में एडमिशन कराने की पहल की।

एसएसपी संतोष मिश्रा ने बताया कि दिव्यांग शख्स का नाम मेहराज उर्फ छुट्टन है। पहले तो वह भारी भरकम पुलिस दल को देखने के बाद डर गया। उसे लगा कि कहीं वह मुझे यहां से हटा ना दें लेकिन उसके पास ही उसका बेटा खड़ा दिखा तो एसएसपी खुद को उसके पास जाने से रोक नहीं पाये। उन्होंने उससे उसका नाम पूछा तो दिव्यांग गुब्बारे वाले के बेटे के अपना नाम सुहेल बताया। एसएसपी ने उसके पिता की तरफ देखकर पूछा कि आपका बेटा किस क्लास में पढ़ता है। तो उसने बताया कि साहब ये पढ़ने नहीं जाता।

एसएसपी चौंक गए और बोले इसकी तो उम्र पढ़ने की है, फिर भेजते क्यूं नहीं। पिता के मना करने के बाद वो तुरंत समझ गए कि स्कूल न भेजने का कारण क्या हो सकता है। मेहराज ने जवाब दिया कि साहब हमारा पेट भर जाता है। बस इतना ही कमा पाता हूं। जिसके बद एसएसपी ने तुरंत उससे कहा कि तुम्हारा बेटा कल से जरूर पढ़ने जाएगा। इसका एडमिशन पुलिस माडर्न स्कूल में कराइए, इसे जो भी जरूरत पड़ेगी उसे वह अपने स्तर से पूरा करेगें।

Sach ki Dastak

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