अरूण जेटली का निधन : राजनीति का ‘अरुण’ अस्त-
- जेटली 9 अगस्त से एम्स में भर्ती थे, उन्होंने शनिवार दोपहर 12 बजकर 7 मिनट पर अंतिम सांस ली
- जेटली का सॉफ्ट टिश्यू कैंसर का इलाज चल रहा था, इसके लिए वे जनवरी में न्यूयॉर्क भी गए थे
जेटली का 66 साल की उम्र में निधन :
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा- जेटली बेहतरीन वकील, परिपक्व सांसद और उत्कृष्ट मंत्री थे।
पीएम मोदी ने कहा- उन्होंने देश को आर्थिक मजबूती दी, मैंने अपना अमूल्य मित्र खो दिया।
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा- मैंने परिवार का अभिन्न सदस्य खो दिया।
भारतीय राजनीति का अरुण यानि सूर्य आज अस्त हो गया । भारतीय जनता पार्टी ( BJP ) के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली ( Former FM Arun Jaitley ) की तबियत अचानक खराब होने के बाद दिल्ली के सबसे बड़े अस्पताल एम्स ( AIIMS ) में भर्ती कराया गया था। शनिवार को लंबे संघर्ष के बाद जेटली का निधन हो गया।
बताया जा रहा है कि जेटली को सांस में तकलीफ
( Breathing Problem ) होने के तुरंत बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया। गृहमंत्री अमित शाह समेत भाजापा के कई दिग्गत नेता जेटली का हाल जानने के लिए एम्स पहुंचे थे।
व्यक्तिगत जीवन परिचय-
पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली का जन्म महाराज किशन जेटली और रतन प्रभा जेटली के घर 28 दिसंबर 1952 को नई दिल्ली में हुआ था।
उनके पिता पेश से एक वकील थे।
जेटली ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सेंट जेवियर्स स्कूल नई दिल्ली से 1957-69 में पूरी की। इसके बाद 1973 में श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स, नई दिल्ली से कॉमर्स में स्नातक और1977 में दिल्ली विश्वविद्यालय के विधि संकाय से विधि की डिग्री हासिल की।
अरुण जेटली ने 24 मई 1982 को संगीता जेटली से विवाह किया। उनके दो बच्चे हैं। बेटे का नाम रोहन और बेटी का नाम सोनाली है।
जेटली अभिनेता अक्षय डोगरा और अभिनेत्री रिधि डोगरा के चाचा हैं। वह भारत के प्रधानमंत्री पद के लिए नरेंद्र मोदी के नाम का सुझाव देने वाले पहले व्यक्ति थे। आपातकाल (1975-1977) के दौरान 19 महीनों के लिए नजरबंद रहे।
परिवार को समय देते हुए –
CAबनने की थी ख्वाहिश –
अरुण जेटली चार्टेड अकाउंटेंट बनना चाहते थे। लेकिन पिता के कहने पर उन्होंने वकालत का रास्ता ही अपनाया। दिल्ली यूनिवर्सिटी से सन 1977 में लॉ की डिग्री लेने के बाद अरुण जेटली सुप्रीम कोर्ट और देश के कई हाई कोर्टों में वकालत करने लगे। जनवरी 1990 में अरुण जेटली को दिल्ली हाईकोर्ट ने वरिष्ठ वकील नामित किया। अरुण जेटली की वकालत को देखते हुए सन 1989 में वीपी सिंह की सरकार में अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल नियुक्त किया गया ।
कानूनी करियर-
1980-1990 – अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल, भारत सरकार
– अरुण जेटली बतौर कानून के छात्र के रूप में सुप्रीम कोर्ट से लेकर 1977 से अबतक देश की अलग-अलग अदालतों में अभ्यास किया।
– जनवरी 1990 में दिल्ली उच्च न्यायालय ने उन्हें वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया।
– 1989 में वी.पी. सिंह सरकार ने उन्हें अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल नियुक्त किया था और बोफोर्स घोटाले में जांच के लिए कागजी कार्रवाई की थी।
– भारत सरकार की ओर से जून 1998 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में शामिल हुए थे जहां ड्रग्स एंड मनी लॉन्ड्रिंग से संबंधित कानूनों की घोषणा को मंजूरी दे दी गई थी।
जेटली ने विशाल बहुराष्ट्रीय निगमों की ओर से पेप्सिको और कोका कोला के लिए भी वकालत की है
– जून 2009 से वकालत करना बंद कर दिया
– 2002 के गुजरात विधानसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी।
राजनीतिक करियर-
जेटली के राजनीति करियर की शुरूआत उनके छात्र जीवन में ही हो गयी थी। दिल्ली विश्वविद्यालय में अध्ययन के दौरान अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के विद्यार्थी नेता के रूप में जेटली ने छात्र संघ चुनाव में सक्रिय रूप से भाग लिया और फिर 1974 में दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र संघ के अध्यक्ष भी बने।
1977 में पहली बार राजनीति में कदम रखते हुए जनसंघ में शामिल हुए, उसके बाद पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा और हमेशा सत्ता की बुलंदियों को छूते चले गए।
1977 में जनसंघ में शामिल हुए
– 1977 में दिल्ली एबीवीपी के अध्यक्ष और एबीवीपी के अखिल भारतीय सचिव बने
– 1980 में भाजपा के युवा मोर्चा के अध्यक्ष बने
– 1991 में भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य बने
1999 में भाजपा के प्रवक्ता बने
13 अक्टूबर 1999 को अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार)
इस बीच जब राम जेठमलानी ने इस्तीफा दे दिया था तब जेटली को एक कानून, न्याय, जहाजरानी (Shipping) और कम्पनी मामलों का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया था
– नवंबर, 2000 में वह विधि, न्याय और कम्पनी मामलों एवं जहाजरानी मंत्रालय के केंद्रीय मंत्री बने
– 1 जुलाई 2002 को भाजपा के राष्ट्रीय सचिव बने
– 29 जनवरी 2003 को कानून और न्याय मंत्री और उद्योग मंत्री बने
3 जून 2009 को राज्यसभा में विपक्ष के नेता चुने गए
– 2014 में पहली बार अमृतसर से लोकसभा चुनाव लड़े, लेकिन कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार अमरिंदर सिंह से हार गए
– 26 मई 2014 को मोदी सरकार की कैबिनेट में वित्त मंत्री (जिसमें कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय भी शामिल थे) बने और बाद में रक्षा मंत्री का अतिरिक्त प्रभार भी सौंपा गया था।
”आपातकाल घोषित होने के बाद 26 जून, 1975 की सुबह कुछ युवकों के साथ अरुण जेटली निकले और तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का पुतला फूंका। उनके अपने ही शब्दों में वह ‘आपातकाल के पहले सत्याग्रही’ थे। इसके बाद उन्हें अरेस्ट कर लिया गया और इमर्जेंसी के दौर में छात्र नेता अरुण जेटली को 1975 से 1977 तक 19 महीने तक हिरासत में रखा गया।
आपातकाल की कहानी सुनाते हुए अरुण जेटली ने बताया था, ’25 जून की आधी रात कोआपातकाल की घोषणा की गई और वे मुझे अरेस्ट करने आए। मैं अपने पड़ोस में स्थित एक दोस्त के घर में छिप गया और बच निकला। इसके बाद मैंने कई लोगों को जुटाया और प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का पुतला फूंका। इसके बाद मुझे अरेस्ट कर लिया गया।’ ‘
जेटली की 66 साल की अद्भुद जीवन यात्रा-
जन्म: 28 दिसंबर, 1952
1973 : दिल्ली के श्रीराम कॉलेजसे स्नातक।
1974 : दिल्ली यूनिवर्सिटी के छात्र संघ के अध्यक्ष बने।
1975 : आपातकाल के दौरान गिरफ्तार किए गए।
1977 : दिल्ली यूनिवर्सिटी से कानून की डिग्री ली। वकालत शुरू की।एबीवीपी के अखिल भारतीय सचिव बनाए गए।
1980 : भाजपा में शामिल हुए।
1990 : एडिशनल सॉलिसिटर जनरल बने। बोफोर्स केस में दलीलें दीं।
1991 : भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल।
1998 : यूएन आमसभा में भारतीय प्रतिनिधिमंडल में शामिल हुए।
1999 : वाजपेयी सरकार में सूचना एवं प्रसारण (स्वतंत्र प्रभार) के साथ विनिवेश मंत्रालय भी संभाला।
2000 : राज्यसभा पहुंचे। इसके साथ ही कानून मंत्रालय का प्रभार भी संभाला।
2006 : पुन: राज्यसभा सांसद निर्वाचित किए गए।
2009 : राज्यसभा में विपक्ष के नेता बने। वकालत छोड़ी।
2012 : तीसरी बार राज्यसभा सांसद बने।
2014 : मोदी सरकार में वित्त के साथ रक्षा मंत्रालय का प्रभार भी संभाला।
2018 : किडनी ट्रांसप्लांट हुआ।
24 अगस्त 2019 : दिल्ली के एम्स अस्पताल में निधन।
UN में भारत सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर भी हुए शामिल –
जेटली को बोफोर्स घोटाले की जांच तैयार करने का जिम्मा सौंपा गया। जेटली भारतीय ब्रिटिश विधिक न्यायालय के समक्ष ‘भारत में भ्रष्टाचार और अपराध’ विषय पर दस्तावेज प्रस्तुत किए। जून 1998 में नशीले पदार्थों की तस्करी पर रोक लगाने के लिए अंतरराष्ट्रीय कानून को अधिनियमित करने के मकसद से आयोजित संयुक्त राष्ट्र संघ सम्मेलन में भारत सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर शामिल हुए ।
मोदी सरकार में वित्त मंत्री के अलावा कई अन्य मंत्रालय का पदभार भी बखूबी संभाला –
जेटली 2009 से 2014 तक राज्यसभा में विपक्ष के नेता रहे। 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में वित्त मंत्री बने। इसके अलावा कॉर्पोरेट मामलों और रक्षा मंत्रालय का अतिरिक्त पदभार भी दिया गया था। वे 27 मई 2014 से 14 मई 2018 तक केंद्रीय वित्त एवं कार्पोरेट मामलों के मंत्री रहे।
पूर्व वित्त मंत्री स्व. अरूण जेटली जी के बच्चे जिन बड़े स्कूलों में पढ़ें, उन्हीं बड़े स्कूलों में उन्होंने अपने ड्राइवर, कुक आदि कर्मचारियों के बच्चों को भी पढ़ाया- वह एक बड़े दिल के स्वामी थे।
पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली कुछ ऐसा ही किया करते थे। जेटली अपने निजी स्टाफ के जीवन स्तर को ऊंचा उठाने के लिए कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाते थे। उनके परिवार की देखरेख भी अपने परिवार की तरह ही करते थे, क्योंकि वे इन्हें अपने परिवार का हिस्सा मानते थे। दूसरी ओर, कर्मचारी भी परिवार के सदस्य की तरह जेटली की देखभाल करते थे। उन्हें समय पर दवा देनी हो या डाइट, सबका बखूबी ख्याल रखते थे।
जेटली ने एक अघोषित नीति बना रखी थी, जिसके तहत उनके कर्मचारियों के बच्चे चाणक्यपुरी स्थित उसी कार्मल काॅन्वेंट स्कूल में पढ़ते हैं, जहां जेटली के बच्चे पढ़े हैं। अगर कर्मचारी का कोई प्रतिभावान बच्चा विदेश में पढ़ने का इच्छुक होता था तो उसे विदेश में वहीं पढ़ने भेजा जाता था, जहां जेटली के बच्चे पढ़े हैं। ड्राइवर जगन और सहायक पद्म सहित करीब 10 कर्मचारी जेटली परिवार के साथ पिछले दो-तीन दशकों से जुड़े हुए हैं। इनमें से तीन के बच्चे अभी विदेश में पढ़ रहे हैं।
सहयोगी का एक बेटा डॉक्टर, दूसरा बेटा इंजीनियर-
जेटली परिवार के खान-पान की पूरी व्यवस्था देखने वाले जोगेंद्र की दो बेटियों में से एक लंदन में पढ़ रही हैं। संसद में साए की तरह जेटली के साथ रहने वाले सहयोगी गोपाल भंडारी का एक बेटा डॉक्टर और दूसरा इंजीनियर बन चुका है। इसके अलावा समूचे स्टाफ में सबसे अहम चेहरा थे सुरेंद्र। वे कोर्ट में जेटली के प्रैक्टिस के समय से उनके साथ थे। घर के ऑफिस से लेकर बाकी सारे काम की निगरानी इन्हीं के जिम्मे थे। जिन कर्मचारियों के बच्चे एमबीए या कोई अन्य प्रोफेशनल कोर्स करना चाहते थे, उसमें जेटली फीस से लेकर नौकरी तक का मुकम्मल प्रबंध करते थे। जेटली ने 2005 में अपने सहायक रहे ओपी शर्मा के बेटे चेतन को लॉ की पढ़ाई के दौरान अपनी 6666 नंबर की एसेंट कार गिफ्ट दी थी।
बच्चों से लेकर स्टाफ तक सभी को चेक से पैसे देते थे –
जेटली वित्तीय प्रबंधन में सावधानी बरतते थे। एक समय वे अपने बच्चों (रोहन व सोनाली) को जेब खर्च भी चेक से देते थे। इतना ही नहीं, स्टाफ को वेतन और मदद सबकुछ चेक से ही देते थे। उन्होंने वकालत की प्रैक्टिस के समय ही मदद के लिए वेलफेयर फंड बना लिया था। इस खर्च का प्रबंधन एक ट्रस्ट के जरिए करते थे। जिन कर्मचारियों के बच्चे अच्छे अंक लाते हैं, उन्हें जेटली की पत्नी संगीता भी गिफ्ट देकर प्रोत्साहित करती हैं।
अरुण जेटली भाजपा के कद्दावर नेताओं में से एक हैं। जेटली भाजपा के उन नेताओं में शुमार हैं जो पार्टी के उदय से लेकर शिखर तक पहुंचने के साथ जुड़े रहे हैं। इस दौरान पार्टी ने जेटली को कई ऐसी जिम्मेदारियां सौंपी, जिसका निर्वहन उन्होंने बहुत ही शानदार तरीके से किया और आज काल के क्रूर हाथों ने उन्हें हम सबसे छीन लिया या यूं कहें कि राजनीति का यह अरूण ही अस्त हो गया।
-टीम सच की दस्तक की तरफ से महान व्यक्तित्व को विनम्र श्रध्दांजलि 💐
ब्लॉग बुलेटिन टीम की ओर से आप सब को कृष्णाजन्माष्टमी के पावन अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएं!!
ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 24/08/2019 की बुलेटिन, ” कृष्णाजन्माष्टमी के पावन अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएं “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है … सादर आभार !