इंदौर: युवाओं ने शहीद की पत्नी को दिया घर, हथेली पर कराया गृह प्रवेश
- इंदौर के देपालपुर क्षेत्र के युवाओं ने रक्षाबंधन पर शहीदमोहनलाल सुनेर की पत्नी कोघर गिफ्ट किया
- सुनेर दिसंबर 1992 में त्रिपुरा में आतंकियों से लड़ते हुए शहीद हो गए थे
- शहीद की पत्नी राजूबाई ने कहा- सभी कोशुक्रिया, पति की शहादत पर फख्र है
स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर इंदौर के बेटमा के युवाओं ने शहीद के परिवार को 27 साल बाद पक्का घर बनवाकर तोहफे में दिया। गांव के युवाओं ने अपनी हथेलियों पर शहीद की पत्नी को पैर रखवाकर घर में प्रवेश करवाया।
सीमा सुरक्षा बल के जवान मोहन सिंह सुनेर 27 साल पहले असम में शहीद हो गए थे। उनका परिवार अब तक झोंपड़ी में गुजर-बसर कर रहा था। गांव के कुछ युवाओं ने उन्हें पक्का मकान देने के लिए एक अभियान चलाया जिसमें देखते ही देखते 11 लाख रुपये जमा हो गए।
गांववालों ने इसमें से 10 लाख रुपये से शहीद के परिवारवालों के लिए एक मकान तैयार कराया और 73वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर शहीद की पत्नी को गृहप्रवेश भी करवाया।
नहीं मिला सरकारी योजनाओं का लाभ
शहीद के परिवार हालत देखकर क्षेत्र के कुछ युवाओं ने ‘वन चेक-वन साइन’ नाम से अभियान शुरू किया। मकान बनाने के लिए 11 लाख रुपये इकट्ठा भी हो गए, जिससे दस लाख रुपए में शहीद मोहन सिंह सुनेर का घर तैयार हो गया। बचे हुए एक लाख रुपये से मोहन सिंह की प्रतिमा को तैयार किया गया है।
असम में तैनात थे मोहन सिंह
सुमेर सिंह असम में पोस्टिंग के दौरान 31 दिसंबर 1992 को शहीद हो गए थे। उनका परिवार तब से झोंपड़ी में रह रहा था। जब वे शहीद हुए उस समय उनकी पत्नी गर्भवती थीं और उनका एक तीन साल का बेटा भी था।
शहीद सुनेर की प्रतिमा भी लगाई जाएगी
मोहनलाल की पत्नी राजूबाई ने बताया कि पति जब शहीद हुए, उस वक्तबड़ा बेटा 3 साल का था।वे 4 महीने की गर्भवती थीं। पति की शहादत के बाद दोनों बच्चों को पालने के लिएकड़ी मेहनत की औरझोपड़ीमें रहते हुए मजदूरी कर बच्चों को बड़ा किया। उनकी शहादत पर गर्व है।
राठी के मुताबिक, शहीद के परिवार के लिए 10 लाख रुपए में घर तैयार हो गया। एक लाख रुपए मोहनलालकी प्रतिमा के लिए रखे हैं। प्रतिमा भी लगभग तैयार है। इसे पीरपीपल्या मुख्य मार्ग पर लगाएंगे। जिस सरकारी स्कूल में उन्होंने पढ़ाई की, उसका नाम भी सुनेर के नाम पर करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। अभियान से जुड़े सोहन लाल परमार ने बताया किपैसा जुटाने में बेटमा ,सांवेर, गौतमपुरा, पीथमपुर, सागौर कनाड़िया, बड़नगर, हातोद, आगरा औरमहू क्षेत्र के लोगों ने सहयोग किया।
बड़ा बेटा बीएसएफ में शामिल
सुनेर का बड़ा बेटा राजेश बीएसएफ में कार्यरत है। छोटा बेटा राकेश मां के साथ बेटमा रहता है। गांव के कुछ युवाओं ने उनकी माली हालत सुधारने की पहल की। इसी के तहत वन चेक फॉर शहीद नामक अभियान चलाया गया।शहीद की पत्नी से गुरुवार को बड़ी संख्या में युवाओं ने राखी बंधवाई। इसके बाद घर में हथेलियों पर गृह प्रवेश कराया।