बीएचयू में शोध के लिए साक्षात्कार में हुए धांधली के विरोध में विद्यार्थियों ने शुरू किया आमरण अनशन
सच की दस्तक वाराणसी
बी एच यू के इतिहास विभाग की शोध के लिए हुए साक्षात्कार में बरती गई अनियमितता एवं धांधली के खिलाफ पिछले दिनों 12 जुलाई से 16 जुलाई तक, 5 दिन अनवरत चला धरना कुलपति के आश्वासन पर स्थगित किया गया था। कुलपति ने आश्वासन दिया था कि इस मामले में एक जांच कमेटी गठित की जाएगी और चयन प्रक्रिया जांच कमेटी की रिपोर्ट आने तक स्थगित रहेगी।
लेकिन शनिवार को विभागाध्यक्ष प्रो केशव मिश्र के आदेश पर इतिहास विभाग ने चयन प्रक्रिया को पुनः शुरू कर दिया। इसके विरुद्ध धरनारत छात्रों ने कुलपति से शिकायत की एवं स्थगन का लिखित आदेश मांगा। साथ ही धरनारत छात्रों ने कुलपति के समक्ष यह मुद्दा भी उठाया कि जब उन्हें यह आश्वासन दिया गया था कि 24 तक विश्वविद्यालय द्वारा स्थापित कमेटी किसी न किसी निर्णय पर पहुंच जाएगी तो अब तक कमेटी की एक भी बैठक तक क्यों नहीं कि गई। विद्यार्थियों का कहना है कि उन्हें अब तक जांच कमेटी के गठन के आदेश की एक प्रति भी नहीं दी गई है। जांच की सारी बातें केवल मौखिक हैं, उसका कोई लिखित आदेश देखने को नहीं मिला। जब विद्यार्थियों ने विश्वविद्यालय के उच्च अधिकारियों से इस संदर्भ में जवाब मांगा तो उन्होंने कहा कि आदेशपत्र की प्रति देखने का छात्रों को अधिकार नहीं है। ऐसे में छात्रों ने सवाल उठाया कि जब उन्हीं की शिकायत पर कमेटी गठन की बात शुरू हुई थी तो उन्हें ही आदेशपत्र देखने का अधिकार क्यों नहीं है। 24 तारीख की शाम को आश्वासन की अवधि समाप्त होने के साथ ही आंदोलनरत छात्रों ने आमरण अनशन शुरू कर दिया है।
आमरण अनशन पर बैठे छात्रों में प्रिंस उपाध्याय, शिखर श्रीवास्तव, मिथिलेश पाण्डेय, रविनंद, सर्वजीत, रिशू, मो० शादान, कुलदीप, संदीप, जूली, प्रियंका आदि शामिल हैं।