लोक आस्था का महा पर्व छठ

अनुपमा अमरेन्द्र की रिपोर्ट
लोक आस्था का महा पर्व छठ
सूर्योपासना का यह अनुपम लोकपर्व मुख्य रूप से बिहार, झारखण्ड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाता है। यह पर्व बिहार वासियों का स बसे बड़ा पर्व है ये उनकी संस्कृति है। यह पर्व बिहार की वैदिक आर्य संस्कृति की एक छोटी सी झलक दिखाता हैं। ये पर्व मुख्यः रुप से ॠषियो द्वारा लिखी गई ऋग्वेद मे सूर्य पूजन, उषा पूजन और आर्य परंपरा के अनुसार बिहार मे यह पर्व मनाया जाता हैं।
आज खरना के साथ निर्जला व्रत शुरू हो गया। छठ पूजा का पहला दिन नहाय खाय होता है और व्रत का दूसरा दिन खरना होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार यह कार्तिक मास की पंचमी को मनाया जाता है। गोधूली बेला में खीर और फलों का प्रसाद बना कर व्रतियां अर्घ्य देंगी। खरना का प्रसाद ग्रहण करने के साथ 36 घंटे का कठिन निर्जला उपवास शुरू हो जाएगा। इसके बाद शुक्रवार को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा।
09 नवंबर सूर्यास्त- 17:29:59 छठ पर्व प्रथम अर्घ्य
10 नवंबर सूर्योदय- 06:40:29 छठ पर्व मुख्य अर्घ्य
10 नवंबर सूर्यास्त- 17:29:25 छठ पर्व संध्या अर्घ्य
11 नवंबर सूर्योदय- 06:41:15 छठ पर्व समापन अर्घ्य
छठ व्रत के दूसरे दिन खरना में शाम में मिट्टी के चूल्हे में आम की लकड़ी से गन्ने की रस या गुड़ के साथ अरवा चावल मिला कर खीर बनायी जाएगी। खीर के साथ घी चुपड़ी रोटी और कटे हुए फलों का प्रसाद भगवान सूर्य को अर्पित किया जाएगा। दूध और गंगा जल से प्रसाद में अर्घ्य देने के बाद व्रतियां इसे ग्रहण करेंगी।
कुछ जगह पर खरना के प्रसाद बनाने का अन्य तरीका भी माना जाता है जिसमे बासमती चावल, चने का दाल, छोटे आकार की रोटी, गुड, दूध और चावल का छोटा पिठ्ठा बनाकर सूर्य देवता और छठी मैया को भोग लगाया जाता है।
छठ पूजा के व्रत में 36 घंटे के व्रत के दौरान न कुछ खाया जाता है और न ही जल पिया जाता है। शाम को छठवर्ती के घरों में गुड़, अरवा चावल व दूध से मिश्रित रसिया बनाए जाते हैं। रसिया को केले के पत्ते में मिट्टी के ढकनी में रखकर मां षष्ठी को भोग लगाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि मां षष्ठी एकांत व शांत रहने पर ही भोग ग्रहण करती हैं।
दृढ आस्था और विश्वास के पर्व छठ पूजा की आप सभी धार्मिक जनों को बहुत बहुत शुभकामनाएं…..।छठ परमेश्वरी आप और आपके समस्त परिवार को शक्ति, साधना सम्पन्नता प्रदान करें।आपसबों का जीवन आलोकित ,अपूर्व एवं दिव्यादिव्य हो।आप सबों का जीवन पूर्ण व पवित्र हो।