युवाओं भटको मत /जागो – ब्लॉगर आकांक्षा सक्सेना

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इतिहास साक्षी रहा है कि जब-जब सरकारें असफल हुईं हैं तो युवाओं को बुनियादी  सुविधाओं (रोटी, रोजगार, बिजली, पानी यानि विकास) जैसे मुख्य मुद्दे से भटका कर, उन्हें धर्म के नाम पर आपस में लड़ा दो वाली कूटनीति यानि स्वार्थ नीति प्रयोग में लायी गयी और यही उन साहिब! लोगों की अकाट्य नीति भी है यानि अचूक वार। फिर, जब चुनाव आयें तो फिर से वही योजना के तहत, धर्म की आड़ लेकर वोट निकाल लो। बस जनता को बेवकूफ़ बनाने का यही खेला वर्षों से चलता आ रहा है…

ध्यान से देखो! वर्तमान में भी चल रहा है… युवा लड़ – भिड़ कर जेल चलें जायेगें तो सोचो! कौन सा नेता उनको बचाने आयेगा?कोई नहीं आता… उल्टा उस युवा का पूरा परिवार थाने – अदालत का चक्कर काट-काट कर परेशान हो जाता है और बाद में वह परिवार करीब बीस हजार रूपए अपने बच्चे की बेल का इंतजाम करने में जुट जाता है। जो बीस हजार रूपए माता-पिता की बीमारी में काम आने वाले थे, वह इस राजनीतिक षड्यंत्र में फंसे उस युवा के लिए थाना-अदालत की भेंट चढ़ जाते हैं। ऊपर से उस युवा के नाम क्रिमनल रिकॉर्ड दर्ज हो जाता है और उसके माथे पर हमेशा के लिए लिख दिया जाता है कि वह तो ‘अपराधी’ है और एक बार क्रिमिनल रिकॉर्ड दर्ज होने पर सरकारी नौकरी तो छोड़ो प्राईवेट नौकरी तक नहीं मिलती और फिर कौन माँ-बाप अपनी बेटी की शादी उस अपराधी से करना चाहेंगे।
आज इस तरह के षड्यंत्र में फंसे और हालात के मारे अनेकों युवा जेलों में अपनी सिर धुन रहे हैं। बता दें कि पूरे देश की जेलों में लाखों नाबालिग युवा ऐसी ही मारपीट जैसी घटनाओं में फंसे पड़े हैं जिनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है… बाद में यही लोग मजबूरन इन्हीं भ्रष्ट नेताओं, बाहूबलियों की कठपुतली बन कर एक बाकी का अपमानित जीवन बिताने को मजबूर हो जाते हैं और यहीं उनका प्लान सफल होता है। 

ये भ्रष्ट नेता लोग बेरोजगार युवाओं को कभी अपनी रैलियों में जिंदाबाद के लिए बुलवाते तो कभी धर्म के नाम पर भिड़वाने में प्रयोग कर अपना उल्लू सीधा करते पर यदि रैली में कोई दुर्घटना हो जाये तो उनका कोई जिम्मा नहीं। वे युवा लावारिस समझ कर नजरंदाज कर दिये जाते…और तो और आजकल तो सोसल साइट्स ग्रुप का ऐडमिन कहता है कि मारो सालों को, मार डालो.. उनसे साफ कहना पहले आप अपना आधारकार्ड दिखाओ? दूसरा यह मारपीट आप मुझसे करवा रहे हो, ये मुझे लिखित स्टाम्प पर दे दो… फिर देखना आप…!! 

हाँ अगर युवा जाग जाये और रैली में जिंदाबाद करने के बदले, धर्म के नाम पर लड़ने के बदले सिर्फ़ और सिर्फ़ नौकरी-रोजगार और विकास की बात करें तो इन भ्रष्ट लोकलुभावन शक्तियों की सूरत देखने लायक होगी।

इन सबके बीच सरकार को चाहिए कि वह देश का कानून इतना सख़्त बनाये कि आमजन निश्चिंत रह सके।

कृपया न्याय व्यवस्था सुदृढ करके मुकदमों की समय सीमा निर्धारित करें जिससे आमजन का भरोसा न्यायपालिका पर बरकरार रह सके। वरना जिस दिन न्याय व्यवस्था पर भी भरोसा उठ गया तो यही अन्यायपीड़ितों के क्रोध से फिर आपकी ही कुर्सी नहीं जायेगी वरन् स्वर्ग में इन्द्र देव तक का सिंहासन डोल जायेगा…. आपसे करबद्ध निवेदन है कि आप देश की इस लचर व्यवस्था को सुधारिये वरना देश के बेकाबू होते हालात के जिम्मेदार सिर्फ़ आप ही होगें साहिब…!! 

अत:, इन भ्रष्ट लोगों की कठपुतली ना बनें और इनके कुचक्र  में फंस कर अपने परिवार को संकट में ना डालें और विवेक से काम लें। ये राजनीति ना किसी की हुई है और ना ही कभी होगी। मेरे कहने का मतलब है कायर नहीं समझदार बनना है। गलत होता देख उस दुष्ट व्यक्ति को पकड़कर पुलिस में देकर उसकी रिपोर्ट की जा सकती हैं। उस क्रिमिनल को मारपीट कर अपना क्रिमिनल रिकॉर्ड क्यों बनाना। 


मुझे विश्वास है आप समझ रहे होगें कि विकट परिस्थिति में कानून का सहारा लीजिए और सौहार्द बनाये रखियेगा। 

जागो! और अब सिर्फ़ रोजगार और विकास की बात करो। फिर देखना कैसे इन भ्रष्ट नेताओं के चेहरे देखने लायक होते हैं।

दोस्तों! यह सोसलमीडिया की रहस्यमयी दुनिया है जहां आग में घी डालकर भड़काने वालों की कमीं नहीं, हमें कम्बल डाल कर बचाने वाले बनना होगा।
 
-ब्लॉगर आकांक्षा सक्सेना न्यूज ऐडीटर सच की दस्तक 

Sach ki Dastak

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