बंद घर में हफ्तेभर मां के शव से लिपटकर रोती रही बेटी

0

उत्तर प्रदेश के कानपुर में कल्याणपुर में हृदयविदारक घटना ने होश उड़ा दिए। एक बंद घर में मानसिक विक्षिप्त बेटी एक हफ्ते तक मां का शव रखे रही। बीच-बीच में लिपटकर रोने लगती थी। मकान से दुर्गंध आने पर पड़ोसियों ने पुलिस को सूचना दी, जिसके बाद मामला सामने आया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक महिला की मौत करीब सप्ताह भर पहले ही हो चुकी थी। आवास विकास-3 के अंबेडकरपुरम निवासी श्यामा द्विवेदी (70) बेटी अपर्णा के साथ रहती थीं। 

जीविका सिंचाई विभाग में क्लर्क रहे श्यामा के स्वर्गीय पति मदन लाल की पेंशन से चलती थी। शुक्रवार को मकान से दुर्गंध आई तो पड़ोसियों को कुछ शंका हुई। कंट्रोल रूम पर फोनकर पुलिस को सूचना दी गई। पुलिस जैसे ही मकान के अंदर दाखिल हुई तो अंदर का नजारा देख अवाक रह गई। कमरे में दरवाजे के पास श्यामा देवी का शव पड़ा था। बेटी गुमसुम बैठी थी।

पूछताछ में वह कोई जवाब नहीं दे पाई। पड़ोसियों का कहना है कि एक हफ्ते तक विक्षिप्त बेटी शव के साथ सोती रही। कल्याणपुर इंस्पेक्टर का कहना है कि विक्षिप्त बेटी को मां के मरने का पता नहीं चल सका। श्यामा के भाई राजू ने बताया कि बहन काफी पढ़ी-लिखी थी। अपने जमाने की वह बीएड थीं। सिंचाई विभाग के बाबू मदनलाल ने उनसे दूसरी शादी की थी। वर्ष 2001 में पति की मौत के बाद उनकी पेंशन से श्यामा देवी और बेटी अपर्णा का गुजारा चलने लगा।

चीखों की आती थीं आवाजें
श्यामा और अपर्णा के घर में कभी भी किसी को आते-जाते नहीं देखा गया। एक सौतेला बेटा विजय लखनऊ में रहता था। वह भी बीमारी के चलते कभी यहां मिलने नहीं जाता था। मकान में अक्सर सन्नाटा ही रहता था लेकिन कभी-कभी श्यामा एकाएक आक्रोशित हो जाती थी। तब मकान से सन्नाटा तोड़ती चीखने की आवाजें आती थीं।

मदद करके हो सकता था सुधार
काउंसलर सीमा जैन ने कहा कि मां के शव के साथ सात दिनों तक विक्षिप्त बेटी के रहने की घटना दुखद है। यह हमारे समाज के बदलते परिवेश को दर्शाती है। अगर कोई इलाकाई व्यक्ति समय रहते मदद को आगे आता तो शायद तमाम सामाजिक संगठनों की मदद से मां-बेटी के जीवन में सुधार किया जा सकता था। 

मोहल्ले के लोग देते थे खाना
मोहल्ले में रहने वाले ज्यादातर लोगों के मुताबिक मां-बेटी किसी से भी घुलती-मिलती नहीं थीं। कभी किसी से बात नहीं करती थीं लेकिन मोहल्ले के लोग अक्सर मकान के गेट पर पर खाना लाकर रख देते थे। मां की मौत के बाद भी अपर्णा इसी खाने से गुजारा करती थी। 

 

Sach ki Dastak

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments
0
Would love your thoughts, please comment.x
()
x