बाबरी मस्जिद में मूर्तियां रखने के लिए 1994 में नजर बचाकर किया गया था हमला : मुस्लिम पक्षकार
- सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या भूमि विवाद मामले में मंगलवार को 18वें दिन सुनवाई हुई
- वकीलराजीव धवन का दावा- तमिलनाडु के प्रोफेसर और राजस्थान के युवक ने उन्हेंधमकी दी थी
- धवन ने कहा- 1934 में निर्मोही अखाड़ा ने गलत तरीके से विवादित स्थल पर कब्जा किया था
उच्चतम न्यायालय में चल रही अयोध्या मामले की सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्षकारों ने मंगलवार को दावा कि 22-23 दिसंबर की दरम्यानी रात अयोध्या में बाबरी मस्जिद के अंदर मूर्तियां रखने के लिए सुनियोजित और ‘नजर बचा के हमला’ किया गया था। इसमें कुछ अधिकारियों की हिंदुओं के साथ मिलीभगत थी और उन्होंने प्रतिमाओं को हटाने से इनकार कर दिया।
मस्जिद में प्रतिमा का प्रकट होना चमत्कार नहीं था : धवन
उन्होंने हिंदू पक्षकारों द्वारा पेश की गईं विवादित स्थल के अंदरूनी हिस्सों की तस्वीरों का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि नायर समेत सरकारी अधिारियों ने स्थल पर यथास्थिति बनाए रखने के आदेश का उल्लंघन तस्वीरें खींचे जाने की इजाजत देकर किया।
सुप्रीम कोर्ट तथ्यों के आधार पर फैसला दे: धवन
मुस्लिम पक्ष के वकील ने कहा कि आजादी और संविधान की स्थापना के बाद किसी भी धार्मिक स्थान का परिवर्तन नहीं किया जा सकता है। महज स्वयंभू होने के आधार पर यह निष्कर्ष नहीं निकाल सकते हैं कि अमुक स्थान किसी का है। सुप्रीम कोर्ट से कहना मैं चाहूंगा कि इस मामले में तथ्यों के आधार पर फैसला दिया जाए। 1934 में निर्मोही अखाड़ा ने गलत तरीके से विवादित जमीन परकब्जा किया था। तब वक्फ निरीक्षक कि ओर से इस पर रिपोर्ट भी दी गई थी।
शुक्रवार को सुनवाई से ब्रेक लेंगे राजीव धवन-
धवन ने कहा कि आज अयोध्या पर सुनवाई का18वां दिन है और 18वें दिन से कोर्ट में महाभारत शुरू हो रही है। धवन ने 18वां दिन इसलिए कहा, क्योंकि बीच में एक दिन सुनवाई टाली गई थी। इससे पहले धवन ने पिछली सुनवाइयों के दौरान अपने व्यवहार पर कोर्ट से माफी भी मांगी थी। धवन ने सप्ताह के बीच में बुधवार को खुद के लिए ब्रेक की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि उनके लिए लगातार दलीलें देना मुश्किल होगा। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें शुक्रवार को ब्रेक लेने की अनुमति दी।
17वें दिन की सुनवाई में क्या हुआ-
सोमवार को 17वें दिन की सुनवाई में सुन्नी वक्फ बोर्ड ने कहा किविवादित स्थल पर मंदिर का कोई सबूत नहीं है। भारतीय पुरातत्व विभाग सर्वेक्षण (एएसआई) भी यह साबित नहीं कर पाया है। हिंदू पक्षकारों ने अयोध्या में लोगों द्वारा परिक्रमा करने की दलील दी है, लेकिन यह कोई सबूत नहीं है।