भगवान बिरसा मुंडा की मनाई गई 150 वीं जयन्ती
सच की दस्तक डिजिटल न्यूज डेस्क वाराणसी चन्दौली
दिन शुक्रवार को पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार भारतवर्षीय गोंड आदिवासी महासभा समिति के केन्द्रीय कार्यालय परसशुरामपुर (मुगलसराय)जनपद चंदौली पर भगवान बिरसा मुंडा की 150 वीं जयन्ती मनाई गयी।कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉ उमेश चन्द्र गौड़ ने भगवान बिरसा मुंडा के प्रति कृतज्ञता जाहिर करते हुए बताया कि उनके द्वारा”अबुआ दिशुम-अबुआ राज”का नारा बुलंद करते हुए ‘उलगुलान’का आगाज किया गया।आज भी वह नारा प्रासंगिक है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पर्यावरण के लिए घडियाली आंसू बहाये जाते हैं।आदिवासी दिवस पर आदिवासियों को पृथ्वी का रक्षक कह जाता है।उनकी संस्कृति को पर्यावरण का रक्षक कहा जाता है और दूसरी और”हसदेव अरण्य”के लाखो हेक्टेयर में कोयला खनन की तैयारी चल रही है।लाखों की संख्या में पेड़-पौधे को शहीद करने का इरादा है जिसमें लगभग 35 हजार पेड़ शहीद हो चुके हैं,64 हजार आदिवासियों को अपने मूल स्थान से विस्थापित होना है। सरकार के बड़ी परियोजनाओं में विस्थापित हुए लोगों का पुनर्वास संतोषजनक नहीं दिखता।उन्होंने जयपाल सिंह मुंडा के द्वारा संविधान सभा में 19 दिसंबर 1946 को दिए गए भाषण को संदर्भित करते हुए कहा कि “स्वतंत्रता के अज्ञात योद्धाओं के रूप में भारत के मूल लोग जिन्हें विभिन्न पिछड़ी जनजातियों,आदिम जनजातियों और अपराधिक जनजातियों के रूप में जाना जाता है। “अगर भारत का कोई ऐसा समूह है जिसके साथ क्षुद्रता पूर्वक व्यवहार किया गया है,तो वह मेरे लोग हैं।”आज भी यही हाल है कोई आदिवासी पर पेशाब करता है तो कोई उनको उनके वातावरण से विस्थापित करने की चाह रखता है।उन्होंने आगे कहा कि”मैं जिस सिन्धु घटी सभ्यता का वंशज हूँ, उसका इतिहास बताता है कि आप में से अधिकांश जो यहाँ बैठे हैं,बाहरी हैं, घुसपैठिये हैं,जिनके कारण हमारे लोगों को अपनी धरती छोड़कर जंगलों में जाना पड़ा।” “हमारे लोगों की आकांछा ये अधिकाधिक सुरक्षाएं नहीं है जिन्हें पंडित जवाहर लाल नेहरू ने इस संकल्प में रखा है।जो आज की स्थिति है उसमें उन्हें मंत्रियों से सुरक्षा की आवश्यकता है।हम कोई विशेष सुरक्षा नहीं माँगते ।दुसरे भारतीयों की तरह हमारे साथ भी व्यवहार हो।”जिन आदिवासियों को विद्रोही और सनकी पुकारते हैं उनका पूरा इतिहास गैर आदिवासियों द्वारा निरंतर शोषण और विस्थापन का है।”
जयपाल सिंह का संविधान सभा में दिया गया ‘संकल्प’पर भाषण आज भी प्रासंगिक है।
आज भी सता और उद्योगपतियों की साथ-गांठ से विकास और परियोजनाओं के नाम पर उन्हें उनकी जमीनों से बेदखल किया जा रहा है।यदि देखा जाय तो आज भारतीयों के हाँथ में शासन सत्ता और उसमे आदिवासीयों का प्रतिनिधित्व होने के बावजूद भी आदिवासियों का शोषण चरम सीमा पर है।जिस संविधान सभा में स्वतंत्रता समता-बंधुता को संकल्प के रूप में अपनाया गया,व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता को सुनिश्चित करने वाली ‘बंधुला’को विकसित करने के लिए संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित किया गया। उसका सामाजिक जीवन में कहीं कोई प्रभाव नहीं दिखता।सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक समानता हेतु आपको अपने ऊपर भरोसा रखते हुए संघर्षशील होना होगा और भारत का निर्माण संविधान की उद्देश्यिका के अनुरूप करना होगा। इस जयन्ती के अवसर पर भगवान बिरसा मुंडा के प्रति यही हमारी सच्ची श्रद्धांजली होगी।उक्त कार्यक्रम में श्री कृष्ण गोड,सुरेश प्रसाद,पंकज कुमार,राजीव कुमार, संतोष कुमार,हरिश्चंद्र, पुरहू प्रसाद,अवधेश प्रसाद,प्यारेलाल गोंड, रवि शंकर गौड,रामाधार, लल्लन,पारस,प्रेम शंकर प्रसाद,राजनाथ,गहनाल
श्यामजन अन्य मौजूद रहे।