कैंसर अब लाइलाज नहीं :डॉ स्वपनिल पटेल
सच की दस्तक डिजिटल न्यूज डेस्क वाराणसी चन्दौली
नेशनल इंटीग्रेटेड मेडिकल एसोसिएशन नीमा चकिया चंदौली इकाई की और से उपकार हॉस्पिटल एंड कैंसर इंस्टीट्यूट के सौजन्य से नगर के होटल में एक बृहद सेमिनार का आयोजन हुआ सेमिनार का उदघाटन मुख्य चिकित्साधिकारी (सी एम ओ)डॉ वाई के राय एवम भाजपा चिकित्सा प्रकोष्ठ के क्षेत्रीय अध्यक्ष डॉ अशोक राय ने दीप प्रज्वलित कर किया कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि डॉ अनिल यादव थे अध्यक्षता सुप्रसिद्ध लेप्रोस्कोपिक सर्जन डॉ एस जे पटेल जी ने किया।
देश में कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की एक रिपोर्ट बताती है कि 10 में से भारतीय को अपने जीवनकाल में कैंसर हो जाता है। हालांकि आज कैंसर का इलाज भी है। कैंसर ला इलाज नही रहा बशर्ते समय पर उसे पहचान लिया जाय। कैंसर के 4 स्टेज होती है ।सभी समझते है चौथे स्टेज में व्यक्ति को नही बचाया जा सकता है लेकिन अब ऐसा नहीं है।बहुत सारे अस्पतालों में इसकी सर्जरी भी की जाती है लेकिन अक्सर कैंसर का इलाज मिलने के बाद लोग आगे के जीवन के बारे में सोचते हैं ।वे जानना चाहते हैं कि ऑपरेशन के बाद कैंसर रोगी को क्या क्या एहतियात बरतनी चाहिए ताकि जल्दी से जल्दी बीमारी से छुटकारा मिल सके और आगे का जीवन बेहतर गुजर सके।
ऐसे में पूर्वांचल के जानेमाने ऑन्कोलॉजिस्ट सर्जन, गोल्ड मेडलिस्ट डॉ स्वपनिल पटेल(उपकार हॉस्पिटल एंड कैंसर इंस्टीट्यूट सुंदर पुर वाराणसी) ने कई अहम जानकारियां दी हैं. डॉ स्वपनिल पटेल ने कहा कि भारत में कैंसर में तीव्र वृद्धि अधिक वजन, तम्बाकू और शराब की खपत, खराब जीवन शैली और व्यायाम की कमी के कारण हो रही है. अगर लोग अपनी जीवन शैली में बदलाव करें और हानिकारक आदतों से बचें जो इस खतरनाक बीमारी के जोखिम को रोका जा सकता है.
हालांकि, भारत में पुरुषों में सबसे आम कैंसर हेड-नेक कैंसर (विशेष रूप से देश के पूर्वी भाग में ओरल कैंसर) हैं, जबकि महिलाओं में सबसे आम स्तन कैंसर के बाद सर्वाइकल कैंसर है. विडंबना यह है कि ये दोनों रोके जा सकते हैं क्योंकि सिर-गर्दन के कैंसर लगभग हमेशा तम्बाकू के उपयोग से संबंधित होते हैं, जबकि सर्वाइकल कैंसर ह्यूमन पैपिलोमा वायरस द्वारा पुराने संक्रमण से उत्पन्न होता है।सामान्य कैंसर का उपचार सर्जरी, रेडियोथेरेपी और कीमोथेरेपी या टारगेटेड थेरेपी के द्वारा होता है. हालांकि इन इलाजों के बाद भी मरीज को कुछ सावधानियां बरतना जरूरीहै।
सेमिनार में दूसरी वक्ता सुप्रसिद्ध रेडियोलॉजिस्ट डॉ रश्मि पटेल (हेल्थ स्कैन ) ने बताया की गर्भवती महिलाओं और गर्भ में पल रहे उनके शिशुओं के लिए अल्ट्रासाउंड को पूरी तरह सुरक्षित माना जाता है। इसके कोई साइड इफेक्ट भी नहीं हैं। हालांकि, इन्हें केवल प्रशिक्षित अल्ट्रासाउंड डॉक्टर के द्वारा और तय चिकित्सकीय नियमों के तहत किया जाना चाहिए। आये हुए सभी अतिथियों का स्वागत नीमा प्रदेश प्रवक्ता डॉ ओ पी सिंह ने माल्यार्पण स्मृति चिन्ह,एवम बुके प्रदान कर किया।
इनकी थी उपस्थिति
इस अवसर पे कार्यक्रम सयोंजक डॉ मनोज सिंह,डॉ सत्यपाल यादव,डॉ विकास सिंह,डॉ, जे,खान,डॉ उपेंद्र,डॉ भारत जायसवाल डॉ वाई पी यादव डॉ संतोष शर्मा डॉ आशा कश्यप डॉ रजत डॉ संगीता डॉ रूबी गुप्ता डॉ अनुराग डॉ सलाम डॉ रमेश उपाध्याय,डॉ गिरजा प्रसाद,डॉ सी बी सिंह, डॉ अरविंद सिंह डॉ मुमताज डॉ हुजैफा डॉ यस पी सिंह डॉ बी लाल डॉ प्रवीण डॉ विजय शंकर डॉ अरुण स्वामी इत्यादि लोग थे।