अस्तित्व विहीन होती जा रही बान गंगा ड्रेन

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सच की दस्तक डिजिटल न्यूज डेस्क वाराणसी 

चन्दौली 

(मनोज यादव की रिपोर्ट)
बान गंगा ड्रेन का अस्तित्व पर खतरा मडराता चला आ रहा हैं जिससे हजारों एकड़ फसल की सिचाई व बरसात के दिनों में जल निकासी की समस्या प्रमुख हो गयी है। बान गंगा ड्रेन द्वापर युग में भूखी प्यासी गायों को पानी पिलाने के लिए महारथी अर्जुन ने बाण मारा जिससे एक गंगा नदी तैयार हो गयी और वह बान गंगा नदी के नाम से जाना जाने लगा। उक्त नदी भुसौला स्थित गंगा नदी से रामगढ़, परासी, हिनौता होते हुए चहनियां फुलवरियंा, लच्छनपुर, चकरा बिजयी के पूरा होते हुए पुनः मंा गंगा की गोद में समाहित हो गयी। जिससे हजारांे एकड़ भूमी की सिचाई होती रहती है। लेकिन बिगत कुछ वर्षो से अबैध निर्माण सड़कों के चौड़ीकरण, किसानों द्वारा प्राकृतिक वन सम्पदा दोहन करते हुए बान गंगा ड्रेन का अस्तित्व समाप्त हो जाने के कगार पर आ गया है। अगर जिला प्रशासन समय रहते इसे गम्भीरता से नही लिया तो बरसात के दिनों या बाढ़ के समय भारी बाढ़ आपदा का सामना करना पड़ सकता है। वही लोगांे ने इस ओर जिला प्रशासन का ध्यान आकृष्ट करवाते हुए इसकी खुदाई व सफाई करवाये जाने की मांग की है।

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