भाजपा की नहीं बल्कि मोदी की सरकार है -राकेश टिकैत

केंद्र में भाजपा की नहीं बल्कि मोदी की सरकार है जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण 2014 में पार्टी ने अबकी बार मोदी सरकार का नारा देकर किया था। पार्टी तो तिजोरी में बंद होकर रह गई है।
यह बातें भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने अपने संबोधन में कहा। वह भिटियां गांव के शिव मंदिर पर किसान विकास मंच के आठवें स्थापना दिवस पर संयुक्त किसान मोर्चा के तत्वाधान में आयोजित किसान महापंचायत में बोलते हुए कही।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने तीन जो कानून लाए हैं, उससे 147 मंडियों का तनख्वाह नहीं मिल रहा है। जिससे रह मंडियां 3 साल में बंद हो जाएंगी। मतलब किसान अपने माल को जिस स्थान पर ले जा रहा है उसे खत्म किया जा रहा है।
बिहार का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि जो हालात बिहार के हैं उसे सुधारने में 10 साल लगेंगे। मंडियों में घास उगे हुए हैं जो लूट का सैंपल है। देश में आजादी के पूर्व की पद्धति आएगी जो राजा था वह कानून बनाएगा। लोकतंत्र के बाद देश में भूख का व्यापार होगा। देश के हालात बहुत खराब है, यह जनक्रांति है किसान, मजदूर, दलित, शोषित इसकी अगुवाई कर रहे हैं। यह उनकी लड़ाई है, छोटे व्यापारियों की लड़ाई है।
कहा कि किसानों को अनाज का जो पैसा मिलता है तो वह 20 जगहों पर जाता है। उससे किसान ही नहीं मजदूर और छोटे व्यापारी भी लाभान्वित होते हैं। पूर्वांचल तथा बिहार के किसानों की जब लूट होती हो तो पूरे देश के किसानों की लूट होती है।
एमएसपी के तहत जिस अनाज को अट्ठारह सौ से लेकर 2000 तक बेचना है उसका कीमत 500 से 1000 पर प्रति कुंतल किसानों को नुकसान सहना पड़ता है। वर्ष 2013 के आंकड़े लिया जाए तो एमएसपी पर किसानों को 40 लाख करोड़ का नुकसान उठाना पड़ा था। जिससे किसानों को 11 लाख करोड़ का कर्ज हो गया है।
अगर उनके कर्ज माफ कर दिए भी जाए तो भी 30 लाख करोड़ किसानों का एमएसपी पर नुकसान होगा। राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा कि 26 जनवरी को लाल किले पर ध्वज फहराने का षड़यंत्र किया गया था, ताकि किसान आंदोलन को कमजोर जा सके।
सरकार के लोगों ने 1 डंडे में धार्मिक ध्वज लगाकर षडयंत्र रचा था। उस पर मुकदमा करने का अधिकार मोदी सरकार को नहीं मुकदमा करना ही था तो डालमियां को करना चाहिए, क्योंकि 2 वर्ष पूर्व लाल किला डालमिया के हाथों बेचा जा चुका है।
उन्होंने किसानों का आह्वान करते हुए कहा कि यह लड़ाई किसान, मजदूर , दलित, शोषित और छोटे व्यापारियों की है।अगर यह लड़ाई कमजोर होगी तो शोषण होता रहेगा। और इस तरह का आंदोलन फिर कभी खड़ा होगा या नहीं इसको कहा नहीं जा सकता।
उन्होंने किसानों को आगाह करते हुए कहा कि वाह 5 महीने से चल रहे दिल्ली के बॉर्डर पर किसान आंदोलन में अपनी भागीदारी निभाएं और एक महीने के अंदर फसल कटाई के बाद वह आंदोलन में भारी संख्या में शामिल होकर किसान आंदोलन को गति देने का काम करें। इसके पूर्व आयोजक मंडल द्वारा राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत को स्मृति चिन्ह एवं अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया गया।
इस दौरान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेश चौहान, प्रदेश अध्यक्ष राजवीर सिंह जादौन, वाराणसी मंडल के अध्यक्ष जितेंद्र तिवारी, लक्ष्मण मौर्य, प्रहलाद सिंह, किसान विकास मंच के संयोजक रामअवध सिंह, अफलातून देसाई, बाबूलाल मानव, रामअवतार सिंह, अनूप सिंह कौशिक, शैलेश मौर्या, रमाशंकर सरकार, हिमांशु, रमेश सिंह, नीरज आदि किसानों ने सभा को संबोधित किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता रामअनंत पांडेय ने संचालन भकियू के राष्ट्रीय महामंत्री सुरेश यादव ने किया।
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